वायुसेना से थलसेना तक का सफर! मनोहर खिलेरी की मेहनत बनी मिसाल, तानों के बीच हिंदी मीडियम से बने लेफ्टिनेंट

Last Updated:December 24, 2025, 09:07 IST
Lieutenant Manohar Khileri Success Story: किसान परिवार से निकलकर भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में पूरे कंटिजेंट का नेतृत्व करना मनोहर खिलेरी के लिए गर्व का क्षण बना. सुखवासी (कुम्हारी) निवासी मनोहर ने सीमित संसाधनों और हिंदी माध्यम की पृष्ठभूमि के बावजूद भारतीय सेना में अधिकारी बनने का सपना साकार किया. वायुसेना से आईएमए तक का उनका सफर मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास की मिसाल है. अब वे भारतीय सेना में बतौर अफसर देशसेवा करेंगे.
एक छोटे से गांव से निकलकर भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में पूरे कंटिजेंट का नेतृत्व करना आसान नहीं होता, लेकिन सुखवासी (हाल कुम्हारी) के मनोहर खिलेरी ने इस सपने को साकार कर दिखाया. किसान परिवार में जन्मे मनोहर के पास न तो बड़े संसाधन थे और न ही अंग्रेजी माध्यम की मजबूत पृष्ठभूमि, फिर भी उनके भीतर भारतीय सेना का अफसर बनने का अटूट जज्बा था, जिसने उन्हें लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.

मनोहर खिलेरी एक किसान पुत्र हैं, जिनके पिता आदुराम खिलेरी खेती करते हैं और मां मीरा देवी गृहिणी हैं. गांव के सरकारी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद उन्होंने शहर की एक निजी स्कूल से 12वीं कक्षा पूरी की. सीमित संसाधनों और सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि के बावजूद उन्होंने कभी अपने सपनों से समझौता नहीं किया और हमेशा खुद को बेहतर बनाने के लिए मेहनत करते रहे.

12वीं के बाद मनोहर ने पहले ही प्रयास में भारतीय वायुसेना में भर्ती होकर अपनी काबिलियत साबित कर दी. वायुसेना में नौकरी के दौरान ही उन्होंने लेफ्टिनेंट बनने का लक्ष्य तय किया. जब उन्होंने इसकी तैयारी शुरू की तो कई साथियों ने उन्हें हिंदी मीडियम से होने का ताना दिया और कहा कि वह अधिकारी नहीं बन सकते, लेकिन मनोहर ने इन तंजों को कमजोरी नहीं बल्कि अपनी ताकत बनाया.
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कड़ी मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास के बल पर मनोहर भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून तक पहुंचे. 13 दिसंबर को चेतवुड हॉल के सामने आयोजित ऐतिहासिक पासिंग आउट परेड में उन्होंने अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया. परेड का निरीक्षण थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने किया. यह नजारा मनोहर, उनके परिवार और पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का पल बन गया.

आईएमए में प्रशिक्षण के दौरान मनोहर ने न केवल अनुशासन और नेतृत्व क्षमता दिखाई, बल्कि अकादमी कैडेट एडजुटेंट (ACA) जैसे प्रतिष्ठित पद को भी हासिल किया. पास आउट होते समय वे अपनी कंपनी के सीनियर अंडर ऑफिसर (SUO) रहे, जिसे अकादमी में अत्यंत सम्मानजनक जिम्मेदारी माना जाता है. यह उपलब्धि उनकी कड़ी मेहनत और नेतृत्व गुणों का प्रमाण है.

सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि खेल के मैदान में भी अव्वल रहे हैं. वे एक बेहतरीन लॉन्ग डिस्टेंस रनर हैं और एथलेटिक्स में कई मेडल अपने नाम कर चुके हैं. मनोहर कहते हैं कि लक्ष्य के प्रति मानसिक दृढ़ता और निरंतरता हो तो दुनिया का कोई भी तंज आपको रोक नहीं सकता. अब मनोहर भारतीय सेना में अपनी सेवाएं देंगे.
First Published :
December 24, 2025, 09:07 IST
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मनोहर खिलेरी की मेहनत बनी मिसाल, तानों के बीच हिंदी मीडियम से बने लेफ्टिनेंट



