Rajasthan

गरीबी से शुरू हुआ स्वाद का सफर, 42 साल से कायम है हेमराज गोलगप्पे वाले का जलवा, दूर-दूर से खाने आते हैं लोग

अलवर. खैरथल शहर में वैसे तो हर गली-मोहल्ले में पानीपुरी के ठेले और स्टॉल नजर आ जाते हैं, लेकिन जब बात चाट-पापड़ी और स्वादिष्ट पानीपुरी की होती है, तो खैरथल का नाम सबसे आगे आता है. आनंद नगर कॉलोनी स्थित 40 फूटा रोड पर हेमराज गोलगप्पे वाला काफी फेसम है. यहां हमेशा शुद्ध और लाजवाब स्वाद वाले गोलगप्पे लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. खैरथल निवासी 60 वर्षीय हेमराज बताते हैं कि 1985 में गोलगप्पे का ठेला लगाना शुरू किया था. आज उन्हें इस काम को करते हुए करीब 42 साल हो चुके हैं. दशकों से वे अपने ग्राहकों को स्वादिष्ट और ताजा गोलगप्पे परोसते आ रहे हैं.

हेमराज रोजाना शाम को लगभग 3 घंटे के लिए ठेला लगाते हैं, और इस दौरान उनके स्टॉल पर लोगों की भीड़ लगी रहती है. उनके गोलगप्पों की सबसे बड़ी खासियत है स्वाद के साथ साफ-सफाई और शुद्धता पर उनका विशेष ध्यान. यही वजह है कि हेमराज गोलगप्पे वाला आज भी खैरथल शहर में स्वाद की पहचान बना हुआ है. उनके गोलगप्पे खाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. उन्होंने बताया कि अलवर मुंडावर, तिजारा, किशनगढ़ बास, जयपुर, दिल्ली के लोग जब भी खैरथल आते हैं तो हेमराज के गोलगप्पे का स्वाद लेना कभी नहीं भूलते.

गोलगप्पे में औषधीय मसाले का करते हैं मिश्रण

हेमराज चंदवानी ने बताया कि जब कभी लोग खैरथल में अपने रिश्तेदारों के घर आते हैं तो सबसे पहले डिमांड उनकी यहां के गोलगप्पे की होती है. साथ ही यहां से पैक करवा कर भी ले जाते हैं. उन्होंने बताया कि गोलगप्पों का स्वाद सिर्फ मसालों की वजह से नहीं, बल्कि उनमें छिपे स्वास्थ्यवर्धक तत्वों के कारण भी खास है. गोलगप्पे के पानी में पुदीना, डोडा, लौंग, जायफल, जीरा, काली मिर्च जैसे पारंपरिक और औषधीय मसालों का प्रयोग करते हैं. उनका मानना है कि इन मसालों से पेट दर्द, बुखार, आंखों की कमजोरी जैसी छोटी समस्याओं से राहत मिलती है. हेमराज बताते हैं कि लोग न सिर्फ स्वाद का आनंद लें, बल्कि शुद्ध और स्वच्छ भोजन भी पाएं.

गरीबी के कारण शुरू किया था धंधा

उन्होंने  बताया कि यह काम गरीबी के कारण शुरू किया था, लेकिन अपनी ईमानदारी, गुणवत्ता और मेहनत के बल पर आज पूरे खैरथल शहर में उन्होंने एक पहचान बना ली है. लगभग 42 साल से वे लगातार यह ठेला लगा रहे हैं. हर दिन करीब 100 से 150 लोग सिर्फ उनके गोलगप्पे खाने आते हैं. 60 वर्ष की उम्र में भी हेमराज उसी जोश और लगन से लोगों को स्वादिष्ट गोलगप्पे परोसते हैं. उनकी मेहनत और समर्पण को देखते हुए प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना के तहत सर्टिफिकेट प्रदान किया गया, जिसमें उनके श्रम, आत्मबल और आत्मसम्मान की सराहना की गई.

ग्राहकों की पहली पसंद है हेमराज के गोलगप्पे

ग्राहक धीरज कुमार गुप्ता बताते हैं कि पिछले 30 सालों से हेमराज के गोलगप्पे खाते आ रहे हैं. उनका व्यवहार, साफ-सफाई और स्वाद उन्हें सबसे अलग बनाता है. वहीं विशा गुप्ता कहती हैं कि हेमराज के गोलगप्पों की क्वालिटी और टेस्ट बेहद शानदार है, इसलिए पिछले 10 सालों से यहीं गोलगप्पे खाते आ रहे हैं. वहीं एक अन्य ग्राहक ने मुस्कराते हुए बताया कि जब भी घर पर मेहमान आते हैं, उनकी पहली फरमाइश होती है हेमराज के गोलगप्पे खाए बिना खैरथल से नहीं जाएंगे. साथ ही वह खुद 25 साल से उनके गोलगप्पे का स्वाद ले रहे हैं. वाकई, हेमराज गोलगप्पे वाला सिर्फ एक ठेला नहीं, बल्कि खैरथल के स्वाद और परंपरा की जीवंत पहचान बन चुका है.

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