डेंगू में अमृत से कम नहीं है इस पौधे का रस, गठिया और डायबिटीज में है कारगर, एक्सपर्ट से जानें फायदे

जयपुर. गिलोय औषधि आयुर्वेद के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसे कई बीमारियों के इलाज के लिए गुणकारी माना जाता है. कोविड काल में गिलोय के जूस की सबसे ज्यादा मांग रही थी, क्योंकि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है. गिलोय की बेल नीम के पेड़ पर चढ़ने पर इसे ‘नीम गिलोय’ भी कहा जाता है. नीम के पेड़ पर फैली गिलोय सर्वाधिक गुणों वाली होती है.
इस बेल की खास विशेषता यह है कि यह जिस पेड़ पर चढ़ती है उसी पेड़ के गुणों को अपने अंदर समाहित कर लेती है. इसके पत्ते पान के पत्तों की तरह बड़े-बड़े हरे रंग के होते हैं. यह हर मौसम में हरी रहने वाली बेल है. गिलोय एक लिवर टॉनिक का भी काम करती है. इसका स्वाद कड़वा होता है.
गिलोय में मौजूद पोषक तत्वआयुर्वेदिक डॉक्टर पिंटू भारती ने बताया कि गिलोय में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें टीनोस्पोरिन, टीनोस्पोरिक एसिड, आयरन, पामेरियन, फास्फोरस, कॉपर, कैल्शियम और जिंक आदि पोषक शामिल होते हैं. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सक्षम है.
गिलोय बुखार, पीलिया, गठिया, डायबिटीज़, कब्ज़, एसिडिटी, अपच और मूत्र संबंधी समस्याओं में बेहद फायदेमंद रहती है. इसके अलावा इसमें डायबिटीज को नियंत्रित करने में असरदार होती है.
गिलोय का जूस पीने से बढ़े हुए ब्लड शुगर के स्तर को कम हो जाता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम होता है. गिलोय का जूस डायबिटीज में बहुत लाभकारी है. गिलोय डेंगू बुखार के इलाज के लिए घरेलू उपाय के तौर काम में लिया जाता है.
इसमें में एंटीपायरेटिक गुण होते हैं, जो बुखार को जल्द ठीक करने में असरदार होते हैं. गिलोय इम्युनिटी बूस्टर की तरह काम करती हैं. इसके रस में मौजूद पोषक तत्व त्वचा के विकारों को ठीक करके उसे चमकदार बनाने में सहायक होते हैं.
गिलोय के धार्मिक महत्व गिलोय का धार्मिक महत्व भारतीय परंपरा में विशेष स्थान रखता है. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि धार्मिक दृष्टिकोण से गिलोय को अमरता का प्रतीक माना जाता है. गिलोय को विशेष रूप से भगवान विष्णु और महादेव से जोड़ा जाता है. कई स्थानों पर इसकी पूजा की जाती है और इसे पवित्र पौधा माना जाता है.
नवरात्रि और अन्य धार्मिक अवसरों पर इसे घरों में लगाया जाता है ताकि इसका सकारात्मक और शुद्धिकारी प्रभाव वातावरण में बना रहे. इसके औषधीय गुणों के कारण इसे मंदिरों और धार्मिक अनुष्ठानों में भी महत्व दिया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 19, 2024, 18:26 IST
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