44 साल पहले हुई थी राजा की मौत, आज तक नहीं सुलझी गुत्थी, रहस्यमी है तलवार, ताज और महल की कहानी!

Jodhpur Prince Hukum Singh Story: जोधपुर का शाही इतिहास काफी पुराना है, इस परिवार के कई ऐसी घटनाएं घटीं जो आज भी अनसुलझी हुई हैं. हालांकि, समय घटनाओं को धुंधला कर देता है, लेकिन कुछ कहानियां सिर्फ पहेली बन कर रह जाती हैं. ऐसी ही एक कहानी है राव राजा हुकम सिंह की, जिन्हें टूटू बन्ना के नाम से जाना जाता है. राव राजा हुकम सिंह, एक ऐसे राजा जिन्होंने बहादुरी से जीवन जिया और मौत? मौत का तो पता ही नहीं कैसे हुई, किसने की और कब हुई.
उनकी हत्या को लगभग चार दशक से भी ज्यादा का समय बीत चुका है. 17 अप्रैल 1981 को उनकी हत्या कर दी गई. लेकिन आज भी उनकी हत्या का रहस्य राजस्थान के शाही गलियारों में घूमता है.
एक साल की उम्र में माता पिता की मृत्युराव राजा हुकुम सिंह, जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह और उनकी दूसरी पत्नी ज़ुबैदा के घर 1951 में जन्मे थे. 1952 में एक विमान दुर्घटना में उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी, इस समय राजा हुकुम मुश्किल से एक साल के थे. माता-पिता की मृत्यु के बाद, राजा हुकुम का पालन-पोषण उनकी सौतेली मां राजमाता कृष्णा देवी और सौतेले भाई महाराजा गज सिंह द्वितीय ने की.
कौन थे राव राजा हुकुम सिंहराजा हुकुम काफी तेज इंसान थे. दिखने में आकर्षक, तेज और बेबाक. कहा जाता है कि उनका स्वभाव बहुत ही अस्थिर था, जिसके कारण लोग उनकी तारीफें भी करते और उनसे डरते भी. वे अक्सर व्यापारियों से लेकर दरबारियों तक सभी के साथ आसानी से घुल-मिल जाते. हालांकि, वे कभी किसी की नहीं सुनते थे और अपने फैसलों पर अड़े रहते थे.
कांग्रेस का दामन थामाअपनी जिद के चलते उन्होंने अपने परिवार के राजनीतिक रुख को दरकिनार करते हुए, युवा कांग्रेस का दामन थाम लिया. लेकिन उनके इस फैसले से महल में हड़कंप मच गया. यह उनका इकलौता विद्रोह नहीं था. वे अक्सर अपनी जायदाद, आभूषण और विरासत में अपना हिस्सा मांगते थे. ये दावे शाही परिवार में कलह का कारण बनते थे. इस बीच राजेश्वरी देवी से जल्दी ही उनकी शादी कर दी गई थी, इस उम्मीद में कि इससे उनका स्वभाव शांत हो जाएगा, लेकिन परिणाम इसके उलट हुए. हुकुम की बेचैनी बढ़ती ही गई.
आज तक नहीं सुलझा हत्या का राजबात है 17 अप्रैल 1981 की. वो काली रात जब हुकुम सिंह कि हत्या की गई. इस संबंध में कई कहानी गढ़ी गई. आधिकारिक बयान की मानें तो, हुकुम सिंह ने उस दिन बहुत ज्यादा शराब पी रखी थी. इस बीच नशे में धुत चार-पांच आदमियों से उनका झगड़ा हो गया. बहस इतनी बढ़ गई कि तलवारें निकल आईं. इसी झड़प में राजकुमार की हत्या कर दी गई. भले ही ये कहानी बयानों के मुताबिक गढ़ी गई लेकिन शुरू से ही इसमें विरोधाभास देखा गया. दरअसल उनकी पत्नी राजेश्वरी ने जांचकर्ताओं को बताया कि उनके पति ने अपनी मौत से एक साल पहले ही शराब पीना छोड़ दिया था. इस बयान के बाद पूरे केस का रुख बदल गया.
राव राजा हुकुम सिंह की कहानीइस हत्या के संबंध में एक दूसरी कहानी भी सामने आई. जिसमें कहा गया है कि हुकुम सिंह पर जब हमला हुआ तो वे अपने घर राय का बाग हवेली के बगीचे में चारपाई पर सो रहे थे. उनकी चारपाई टूटी हुई मिली, उनकी कलाई पर घड़ी टूटी हुई थी और जमीन पर झड़प के निशान थे. बस पास में पड़ा एक छोटा सा पानी का बर्तन ही सही सलामत बचा था. जिन लोगों ने इस दृश्य को देखा वे पहली कहानी पर कभी यकीन नहीं कर पाएं.
हत्या की तीसरी कहानीइस घटना पर एक तीसरी कहानी भी चर्चे में थी. फिल्म निर्माता इस्माइल मर्चेंट ने अपनी आत्मकथा ‘माई पैसेज फ्रॉम इंडिया’ में दावा किया है कि वह और उनके सौतेले भाई, महाराजा गज सिंह, उम्मेद भवन पैलेस में एक रात्रिभोज में शामिल हुए थे, जब हुकुम सिंह अचानक तलवार लेकर वहां पहुंचे जहां उनकी हत्या कर दी गई.
कौन था असली हत्यारा?हुकुम सिंह की हत्या के तुरंत बाद गुमान सिंह नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया था. लेकिन मामला उससे आगे नहीं बढ़ पाया. एक साल के भीतर ही गुमान सिंह गायब हो गया. कुछ पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि वह ‘बहुत बूढ़ा और कमजोर’ था और उसकी मौत हो गई. जबकि कुछ ने कहा कि उसे दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत कभी नहीं मिले. जल्द ही केस की फाइल बंद हो गई. लेकिन आज तक राजा हुकुम की हत्या का राज नहीं खुला.