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राजा का खजाना, शाही रहन-सहन और इतिहास… 150 साल पुराना ये पात्र खोलता है कई राज, यहां है मौजूद!

Last Updated:May 21, 2025, 21:14 IST

Bikaner Heritage: बीकानेर के गंगा संग्रहालय में 150 साल पुराने तांबे के चरू आज भी मौजूद हैं, जिनमें राजा-महाराजा अपने युद्धों और यात्राओं में मिले खजाने को रखते थे. इन चरू का उपयोग सोना-चांदी के साथ-साथ खाद्य स…और पढ़ेंX
बीकानेर
बीकानेर के राजकीय गंगा संग्रहालय में तांबे के चरू आज भी रखे हुए है. 

हाइलाइट्स

राजा-महाराजा सोना-चांदी भारी चरू में रखते थे.गंगा संग्रहालय में 150 साल पुराने चरू सुरक्षित हैं.चरू में खजाना, पानी और खाद्य सामग्री भी रखी जाती थी.

बीकानेर. आपने अक्सर राजा-महाराजाओं की कहानियों में बेशुमार सोना और चांदी के बारे में सुना होगा. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि वे इस कीमती धन को रखते कहां थे और कैसे ले जाते थे. अगर नहीं पता है तो हम आपको बताते हैं उस दौर की खास चीज के बारे में.

राजा-महाराजा अपने सोना और चांदी बड़े-बड़े भारी चरू में रखते थे. जब भी वे किसी स्थान की यात्रा करते या कोई युद्ध जीतकर लौटते, तो उस जगह से मिलने वाला सोना-चांदी भारी चरू में भरकर लाया जाता था. ये चरू उनके पीछे चलने वाले सिपाही सिर पर रखकर लेकर चलते थे.

गंगा संग्रहालय में आज भी मौजूद हैं ऐतिहासिक चरूबीकानेर के राजकीय गंगा संग्रहालय में आज भी ऐसे तांबे के चरू सुरक्षित हैं. संग्रहालय के अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी शंकरदत्त हर्ष ने बताया कि ये चरू 20वीं सदी से संग्रहालय में रखे हुए हैं. इनकी उम्र करीब 150 साल है. ये तांबे के चरू बीकानेर के महाराजा अनूप सिंह जी के समय 1669 से 1698 के बीच बनाए गए थे.

देवनागरी लिपि में खुदी हैं पंक्तियांइन चरू पर देवनागरी लिपि में दो पंक्तियां भी खुदी हुई हैं. एक चरू की ऊंचाई करीब 3 फीट 6 इंच है और इनका वजन 40 से 50 किलो के बीच है.

दो तरह के तांबे के चरू संग्रहालय में मौजूदयहां दो तरह के तांबे के चरू मौजूद हैं. एक बिना ढक्कन वाला और दूसरा ढक्कन के साथ. इन चरू का उपयोग कई तरह से किया जाता था. इनमें खजाना भरकर लाया जाता था और जरूरत पड़ने पर इन भारी चरू को जमीन में दबाकर छुपा दिया जाता था.

खाद्य सामग्री और पानी रखने के भी आते थे कामइन चरू का उपयोग केवल खजाना रखने तक सीमित नहीं था. इनमें पानी और अन्य खाद्य सामग्री भी रखी जाती थी. ये चरू न सिर्फ राजकीय संपत्ति को सुरक्षित रखने का जरिया थे, बल्कि उस समय की भव्यता और शाही जीवनशैली के प्रतीक भी थे.

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