अनोखी अंतिम यात्रा: अर्थी पर लेटा था ‘मुर्दा’, हंस-हंसकर खिंचवा रहा था सेल्फी, मातम की जगह लोग मना रहे थे खुशियां!

Last Updated:March 22, 2025, 11:54 IST
भीलवाड़ा में एक अनोखी परंपरा देखने को मिली. ये परंपरा सालों पुरानी है. इसमें लोग शवयात्रा निकालते हैं. लेकिन अर्थी पर पड़े शव के ऊपर कोई मातम नहीं मनाता बल्कि खुशियां मनाता है. आखिर क्या है ये अनोखी परंपरा?
सदियों से चली आ रही है अनोखी परंपरा (इमेज- फाइल फोटो)
भारत में अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह की परम्पराएं मानी जाती है. कहीं शादी के बाद दूल्हे की पिटाई की जाती है, कहीं बहु के साथ अजीब सी रस्म निभाई जाती है. राजस्थान के भीलवाड़ा में भी होली के बाद एक बेहद अजीबोगरीब रस्म निभाई जाती है. इसमें शव यात्रा निकाली जाती है. लेकिन इस यात्रा में कोई रोता नहीं है. बल्कि लोग रंग-अबीर उड़ाकर खुशियां मनाते हैं.
हम बात कर रहे हैं सदियों से हर साल शीतला सप्तमी पर निकलने वाले जुलूस की. इसमें नकली शव यात्रा निकाली जाती है. शुक्रवार को भी चित्तौड़ की हवेली के पास से ये शव यात्रा निकाली गई. इसमें नकली शव को कंधे पर उठाया जाता है. सनेती को कंधा देने के लिए लोग अपनी बारी का इंतजार करते हैं. हर तरफ रंग और अबीर उड़ाया जाता है. यहां तक कि अर्थी पर लेटा शव भी सबके साथ सेल्फी लेता नजर आ रहा था.
गुलाबी हो गया आसमानभीलवाड़ा में इस रस्म को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. करीब सौ बोरे गुलाल से पूरा इलाका गुलाबी हो गया. अर्थी पर लेटे मुर्दे के साथ हजारों की तादाद में युवा निकले थे. सभी जमकर रंग उड़ाते नजर आए. शव भी लोगों के साथ सेल्फी ले रहा था. इस दौरान जमकर ढोल-नगाड़े बजे और लोगों ने डांस किया. इस अनोखे जुलूस को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं.
करते हैं नाटकइस जुलूस में लोग एक-दूसरे के साथ हंसी-मजाक भी करते हैं. कई लोग नकली शव पर मातम मनाते हैं, जिसे और लोग ढांढस बंधाते नजर आते हैं. इसके बाद उनके चेहरे पर रंग की पुताई कर देते हैं. ये जुलूस स्टेशन चौराहा के जरिये सर्राफा बाजार होते हुए पुराना भीलवाड़ा जाती है. इसके बाद अर्थी पर लेटा शख्स भाग जाता है. फिर लोग खाली अर्थी को ही जला देते हैं.
First Published :
March 22, 2025, 11:54 IST
homerajasthan
अनोखी अंतिम यात्रा: अर्थी पर लेटा था ‘मुर्दा’, मातम की जगह लोग मना रहे थे खुशी