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मरुस्थल की जीवनरेखा है यह घास, पूरे साल रहती है हरी-भरी, पशुओं के लिए वरदान, जैविक खाद में भी आती काम

Last Updated:March 18, 2025, 20:17 IST

धामण घास राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में सालभर हरी रहती है और किसानों-पशुपालकों के लिए वरदान है. यह घास मिट्टी कटाव रोकती है, जैविक खेती में उपयोगी है और पशुओं के लिए पोषक चारा है.X
धामण
धामण घास पशुओं के लिए पौष्टिक आहार…

हाइलाइट्स

धामण घास सालभर हरी रहती हैयह घास मिट्टी कटाव रोकती हैधामण घास जैविक खेती और पशुपालन में उपयोगी है

जालोर : मरुस्थल की हरियाली और पशुपालकों का सहारा…राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में सालभर हरी बनी रहती है और किसानों-पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो रही है. यह घास है – धामण घास, जिसे मरुस्थल की जीवनरेखा भी कहा जाता है.

राजस्थान के शुष्क इलाकों में धामण घास अपनी खास विशेषताओं के लिए जानी जाती है. बारिश के मौसम में यह घास तीन से चार फीट तक लंबी हो जाती है और सालभर बिना सूखे बनी रहती है. इसकी जड़ें इतनी मजबूत होती हैं कि यह मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करती है और मरुस्थल के बढ़ते प्रभाव को कम करने में सहायक होती है.

खेती और पशुपालन में महत्त्वपूर्ण योगदानधामण घास जैविक खेती में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. किसान इसे हरी खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है. वहीं, पशुपालन के लिए भी यह घास बेहद उपयोगी है. यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जिससे पशुओं की सेहत सुधरती है और दुग्ध उत्पादन बढ़ता है.

स्थानीय किसान मुरारदान बारहठ ने लोकल 18 को बताया कि राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में पाई जाने वाली धामण घास वर्षभर हरी रहती है और सूखती नहीं है. बारिश के मौसम में यह घास लगभग तीन से चार फीट तक लंबी हो जाती है. यह घास जैविक खेती के लिए अत्यंत उपयोगी मानी जाती है और पशुओं के चारे के रूप में भी बहुत लाभदायक है. धामण घास ने पशुओं के चारे की समस्या को काफी हद तक हल कर दिया है. इसे उगाने में किसी विशेष देखभाल की जरूरत नहीं होती, जिससे यह कम लागत में ज्यादा फायदा देती है. धामण घास सिर्फ एक साधारण घास नहीं, बल्कि मरुस्थलीय जीवन के लिए एक अनमोल उपहार है. यह खेती, पशुपालन और पर्यावरण संरक्षण तीनों में सहायक है.


Location :

Jalor,Rajasthan

First Published :

March 18, 2025, 20:17 IST

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प्रकृति का अनमोल उपहार, सालभर नहीं सूखने वाली घास…पशुओं के लिए पौष्टिक आहार

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