यहां स्थित है चमत्कारी काली माता का मंदिर, पूजा से होते हैं पशु स्वस्थ और ग्रह कलेश से मिलती है मुक्ति

Last Updated:March 16, 2025, 12:13 IST
जयपुर के तुर्कियावास गांव में काली माता का मंदिर चमत्कारी माना जाता है. यहां मां काली की मूर्ति भगवान शंकर के सीने पर पैर रखे विकराल रूप में है. भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.X
काली माता की चमत्कारी मूर्ति
हाइलाइट्स
जयपुर के तुर्कियावास गांव में काली माता का चमत्कारी मंदिर है.मंदिर में मां काली की मूर्ति भगवान शंकर के सीने पर पैर रखे हुए है.भक्तों को मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा और ग्रह कलेश से मुक्ति मिलती है.
काजल मनोहर/जयपुर. मंदिरों की बहुलता के कारण जयपुर को छोटी काशी कहा जाता है. शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में कई चमत्कारी मंदिर हैं. ऐसा ही एक प्रसिद्ध काली माता का मंदिर राजधानी से 85 किलोमीटर दूर तुर्कियावास गांव में स्थित है. इस विशाल मंदिर में मां काली की काले पत्थर से बनी मूर्ति भक्तों के आकर्षण का केंद्र है, जिसमें वे भगवान शंकर के सीने पर पैर रखे हुए विकराल रूप में दर्शाई गई हैं. भक्तों के अनुसार, इस मंदिर में आने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.
भभूत लगाने से होते हैं ठीकमंदिर में कई साल से आ रहे भक्त श्रवण कुमार के अनुसार, तुर्कियावास गांव स्थित काली माता की मूर्ति अत्यंत चमत्कारी है. मान्यता है कि यहां दर्शन कर मन्नत मांगने पर हर इच्छा पूरी होती है. किसान भी अपने बीमार पशुओं को ठीक करने के लिए मूर्ति पर भभूत सात बार घुमाकर लगाते हैं. हर शनिवार यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, वहीं नवरात्रि के दौरान विशेष आयोजन होते हैं. जयपुर, अलवर, भीलवाड़ा, कोटा, चित्तौड़गढ़ और सीकर से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं.
दिन में एक बार होती है आरती अधिकांश प्रसिद्ध मंदिरों में दिन में कई बार आरती होती है, लेकिन तुर्कियावास स्थित काली माता मंदिर में केवल एक बार ही आरती होती है. मंदिर पुजारी रजनीश शर्मा के अनुसार, यह आरती शाम को होती है, जिसमें शामिल होने के लिए भक्त घंटों पहले से मंदिर में बैठे रहते हैं. मान्यता है कि इस आरती में भाग लेने से ग्रह कलेश जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
काली माता ने भगवान शिव के सीने पर रखा पैरकाली माता मंदिर के मुख्य पुजारी रजनीश शर्मा के अनुसार, मां काली की उत्पत्ति राक्षसों के संहार के लिए हुई थी. जब रक्तबीज ने कठोर तपस्या कर वरदान प्राप्त किया कि उसके खून की प्रत्येक बूंद से नया दानव जन्म लेगा, तब मां काली ने विकराल रूप धारण कर उसका वध किया. मां काली के प्रचंड क्रोध को शांत करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की. शिवजी ने कई प्रयास किए, लेकिन असफल रहे. अंत में वे मां काली के मार्ग में लेट गए. जैसे ही मां काली का पैर उनके सीने पर पड़ा, उनका क्रोध शांत हो गया. बस तभी से इस रूप में मां काली की पूजा की जाती है.
Location :
Jaipur,Rajasthan
First Published :
March 16, 2025, 12:13 IST
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इस गांव में स्थित है चमत्कारी काली माता की मूर्ति, हर मन्नत होती है पूरी