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खाटूश्याम से कुछ ही दूरी पर है भाई और बहन का चमत्कारी मंदिर, यहां हजारों साल से जल रही है दिव्य ज्योत

Last Updated:May 17, 2025, 22:02 IST

Sikar Latest News: सीकर जिले के काजल शिखर पर स्थित जीण माता मंदिर का संबंध औरंगजेब को चमत्कार दिखाने वाली जीण माता से है. मंदिर में अखंड ज्योत जल रही है, जो आंखों की बीमारियां दूर करती है.Khatu shyam: खाटूश्याम से कुछ ही दूरी पर है भाई और बहन का चमत्कारी मंदिर

बहन-भाई का मंदिर.

सीकर. अगर आप राजस्थान के सीकर जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम मंदिर में जाने की प्लानिंग बना रहे हैं, तो यहां से 25 किलोमीटर की दूरी स्थित काजल शिखर पर स्थित इस मन्दिर में जाए. यह बहुत चमत्कारी मंदिर है. इस मंदिर का संबन्ध औरंगजेब को चमत्कार दिखाने वाली जीण माता से है. बहुत से श्याम भक्त खाटूश्याम मंदिर दर्शन के बाद इस मंदिर में जरूर जाते हैं. पहाड़ों पर स्थित यह मंदिर के चारों तरफ हरियाली है. इस मंदिर में जीण माता और हर्ष भैरव दोनों भाई-बहन एक साथ विराजित है. मंदिर पुजारी के अनुसार हजारों साल पहले इस मंदिर में जीण माता की ओर से जलाई गई अखंड ज्योत आज तक जल रही है. मंदिर पुजारी रजत पाराशर के अनुसार जीण माता द्वारा जलाई गई अखंड ज्योत के काजल को आंखों में लगाने से आंखों से संबंधित बीमारियां दूर हो जाती है.

आंखों से गिरा काजल तो जगह का नाम काजल शिखर हुआ लोक कथाओं और इतिहासकारों के अनुसार दसवीं सदी में चूरू जिले के घांघू गांव में जन्मे भाई हर्ष और बहन जीण के बीच अटूट प्रेम था, लेकिन भाभी के षड्यंत्र के कारण दुखी होकर जीण घर छोड़कर तपस्या करने के लिए सीकर जिले की अरावली पहाड़ियों पर चली आई. वर्तमान जीणधाम की काजल शिखर नामक पहाड़ी चोटी पर आकर बैठ गई और असीम दुख के साथ रोने लगी जीण इतना रोई की उसके आंसुओं से पूरा पहाड़ भीग गया और आज वही पहाड़ काजल शिखर के नाम से विख्यात है.

जयंती माता में विलीन हुई जीण माता मंदिर पुजारी रजत पाराशर ने बताया कि जब जीण माता के पीछे भाई हर्ष मनाने वहां आया, तो भाई हर्ष ने जीण को मनाने के लिए हर प्रकार के जतन किए लेकिन वह नहीं लौटी, इसके बाद भाई हर्ष ने भी बहन के साथ तपस्या करने की ठानी, इसके बाद भाई हर्ष ने भी दूर ऊंची पहाड़ी पर जाकर भगवान शिव की तपस्या शुरू कर दी.

ऐसे में दोनों पहाड़ सामने होने के कारण बहिन जीण ने यह सोचा कि यदि भाई सामने दिखेगा तो मेरी तपस्या और देवत्व ध्यान भंग हो जाएगा, इसलिए शिखर से छलांग लगा देती है और वहां स्थित जयंती देवी की ज्योत में विलीन हो जाती है. हर्ष पर्वत पर स्थित शिव मंदिर में जीण माता के भाई हर्ष भैरव रूप प्राप्त कर लिया. इन दोनों मंदिरों के चमत्कार को जानकर औरंगजेब इन दोनों मंदिरों को तोड़ने के लिए आया था. इसमें हर्ष भैरव पर स्थित मंदिर को तहस-नस करने के बाद जब वह जीण माता मंदिर पहुंचा तो जीण माता ने अपना चमत्कार दिखाया और उसे वहां से भगा दिया.

authorimgअभिजीत चौहान

न्‍यूज18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. वेब स्‍टोरी और AI आधारित कंटेंट में रूचि. राजनीति, क्राइम, मनोरंजन से जुड़ी खबरों को लिखने में रूचि.

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