बीकानेर की सबसे महंगी गणगौर! सिर से पांव तक सजी होती है करोड़ों के गहने, 24 घंटे पुलिस करती है सुरक्षा

Last Updated:April 01, 2025, 13:40 IST
Bikaner Rajasthan Gangaur Fair: राजस्थान के बीकानेर में बेहद खास गणगौर है, जो साल में दो बार निकलती है. यह गणगौर सिर से लेकर पांव तक सोने-चांदी और हीरे-मोती पहनी होती है. इसकी सुरक्षा के लिए 23 घंटे पुलिस तैनात…और पढ़ेंX
बीकानेर ढढ़ों के चौक स्थित चांदमल ढढ़ों की गवर
हाइलाइट्स
बीकानेर की गणगौर सोने-चांदी और हीरे-मोती से सजी होती है.गणगौर की सुरक्षा के लिए 24 घंटे पुलिस तैनात रहती है.पुत्र प्राप्ति के लिए महिलाएं गणगौर के आगे नृत्य करती हैं.
बीकानेर. राजस्थान में कई गणगौर हैं और उनको लेकर मान्यता भी अलग-अलग होती है. इनमें से एक ऐसी गणगौर है, जो दुनिया में सबसे महंगी गणगौर है. यह गणगौर साल में सिर्फ दो दिन बाहर निकलती है और इस गणगौर के दर्शन करने के लिए ढढ़ा परिवार के वंशज से लेकर देश-विदेश से भी लोग आते है. हम बात कर रहे है बीकानेर ढढ़ों के चौक स्थित चांदमल ढढ़ों की गवर की. इस गणगौर की खासियत है कि यह गणगौर सिर से लेकर पांव तक सोने-चांदी और हीरे-मोती पहनी होती है.
इस गणगौर की सुरक्षा के लिए दो दिन तक हथियारबंद पुलिसकर्मी पूरे 24 घंटे तक तैनात रहते है. इस गणगौर के पास एक सुरक्षा घेरा होता है, जो हर समय इसकी सुरक्षा करते हैं. इस गणगौर को किसी को भी छूने तक नहीं दिया जाता है. महिलाओं में इस गणगौर को लेकर खासा आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. दो दिन लगने वाले इस मेले में महिलाएं इस गवार के साथ सेल्फी भी लेती है.
संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं करती हैं नृत्य
ढढ़ा परिवार के वंशज नरेंद्र ढ़ढा ने बताया कि यह गवर 150 साल पुरानी है. उन्होंने बताया कि इस गवर के पांव और अंगुलिया किसी भी दूसरी गवर में नहीं है. नरेंद्र ने बताया कि इस गणगौर के दर्शन करने के बाद पुत्र की मनोकमाना पूरी होती है. उन्होंने बताया कि यहां महिलाएं पुत्र कामना को पूरा करने वाली चांदमल ढ़ढ़ा की गणगौर के आगे समूह में नृत्य करती नजर आती हैं. माता गवरजा के साथ पुत्र रूपी भाई अभी बैठे नजर आते हैं, जो देखने में किसी सेठ-साहूकार जैसे नजर आते हैं. माता गणगौर को देखने के लिए आने वाले लोग भी इनके आभूषणों को देखकर दंग रह जाते हैं. नाक में नथ, हाथ में सोने के कंगन, पायल, सिर पर टीका, कानों में झूमके, नौलखा हार, हीरों से जड़ित अंगूठियां सहित कई आभूषण पहनी होती है.
150 वर्षो से गणगौर की यह परंपरा है कायम
नरेंद्र ने बताया कि यहां दो दिन के मेले के बाद फिर से माता गणगौर को कड़ी सुरक्षा के बीच वापस घर में ले जाया जाता है और इनके गहनों को बैंक के लॉकर में जमा कर दिया जाता है. पुरानी मान्यता यह है कि बीकानेर के देशनाेक के सेठ साहूकार उदयमल को कोई संतान नहीं थी और उस समय उदयमल ने अपनी पत्नी के साथ पुत्र प्राप्ति की कामना को लेकर राजपरिवार की गणगौर का पूजन किया. एक साल बाद जब उदयमल की पत्नी को पुत्र प्राप्ति हुई, तो उसने उसका नाम चांदमल रखा. बाद में उदयमल और उनकी पत्नी ने आम लोगों को भी गणगौर पूजा का अवसर देने के साथ ही सार्वजनिक रूप से गणगौर का पूजन शुरू करवाया, क्योंकि आम आदमी उस समय तक गणगौर पूजा अपने घर पर उस राजसी ठाठ के साथ नहीं कर सकता था.
यही गणगौर पूजन तब से चांदमल के नाम से प्रसिद्ध हो गया और वह गणगौर चांदमल ढड्ढा की गणगौर कहलाई. तब से शुरू हुई 150 साल पहले की परंपरा आज भी कायम है. उस वक्त गणगौर को पहनाए गए सोने जवाहरात आज भी पहनाए जाते हैं, जो कि आज करोड़ों रुपये के है.
Location :
Bikaner,Rajasthan
First Published :
April 01, 2025, 13:40 IST
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बीकानेर की सबसे महंगी गणगौर, सिर से पांव तक सजी होती है करोड़ों के गहने