जुनून का नाम डॉ. एल. सुब्रमण्यम, 6 साल में पकड़ी वायलिन, दुनिया तक में कमाया नाम, अब मिलेगा अमृत सम्मान
Amrit Ratna Honour 2024: देश के नंबर न्यूज चैनल न्यूज18 इंडिया का विशेष कार्यक्रम ‘अमृत रत्न’ सम्मान 2024 (Amrit Ratna Honour 2024) एक बार फिर होने जा रहा है. अमृत रत्न का उद्देश्य उन भारतीयों को सम्मानित करना है जिन्होंने भारत को गौरवान्वित किया है. भारतीय लोगों को गर्व करने के अवसर दिए हैं. हमारी कोशिश है कि यह सम्मान किसी भी गैर सरकारी संगठन की ओर से चलाए जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित सम्मान बने. इसके जरिए उन लोगों को सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में सफलता और उपलब्धियों के नए मानदंड स्थापित किए. इस बार अमृत रत्न अवार्ड देश के जाने माने वायलिन वादक एल सुब्रमण्यम को भी दिया जाएगा. आइए उनके बारे में जानते हैं.
एल. सुब्रमण्यम, एक ऐसा नाम जो कार्नाटक संगीत के क्षेत्र में विश्व स्तर पर चमकता है. इस प्रतिभाशाली वायलिन वादक ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में अपने संगीत की छाप छोड़ी है. उनका जन्म 23 जुलाई, 1947 को चेन्नई में एक प्रतिष्ठित संगीत परिवार में हुआ था. छह साल की उम्र में ही उन्होंने अपने पहले सार्वजनिक संगीत कार्यक्रम में मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था.
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डॉक्टर से वायलिन वादक बनने की कहानीसंगीत के प्रति उनके जुनून ने उन्हें चिकित्सा की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी वायलिन वादक बनने के लिए प्रेरित किया. सुब्रमण्यम ने कार्नाटक संगीत के दिग्गजों जैसे चेम्बई वैद्यनाथ भगवतार के साथ सहयोग किया और मृदंग वादक पालघाट मणि अय्यर के साथ भी जोड़ी बनाई. उन्होंने दक्षिण-पूर्व एशियाई कलाकारों के साथ भी मिलकर काम किया है, जिससे उनकी संगीत की सीमाएं और विस्तृत हुईं.
सुब्रमण्यम ने सिर्फ कार्नाटक संगीत तक ही सीमित नहीं रहे. उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत के साथ भी प्रयोग किया और दोनों शैलियों का एक अनूठा संगम तैयार किया. उन्होंने ऑर्केस्ट्रा के लिए रचनाएं कीं, बैले संगीत तैयार किया और हॉलीवुड फिल्मों के लिए भी संगीत दिया.
पद्म अवार्ड से किए जा चुके हैं सम्मानितउनकी प्रतिभा को दुनिया ने भी सराहा. 1981 में उन्हें ग्रेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री (1988) और पद्म भूषण (2001) जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाजा गया. सुब्रमण्यम ने सिर्फ संगीत के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी योगदान दिया. उन्होंने युवा संगीतकारों को प्रशिक्षित किया और उन्हें संगीत की दुनिया में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया.
उनकी पत्नी, प्रसिद्ध गायिका कविता कृष्णमूर्ति के साथ भी उन्होंने कई संगीत कार्यक्रम दिए हैं. उनके चार बच्चों में से तीन – गिंगर शंकर, बिंदु सुब्रमण्यम और अंबी सुब्रमण्यम भी संगीत के क्षेत्र में सक्रिय हैं. एल. सुब्रमण्यम ने कार्नाटक वायलिन को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है. उनकी संगीत की यात्रा एक प्रेरणा है, जो हमें सिखाती है कि जुनून और प्रतिभा के साथ कोई भी सीमा पार कर सकता है.
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FIRST PUBLISHED : November 30, 2024, 11:59 IST