जयपुर का वो पौषबड़ा महोत्सव, जिसमें हजारों किलो हलवा व दाल बड़ा किया जाता है तैयार
जयपुर: पौष के महीने की शुरुआत हो चुकी है और इस महीने में शहर के प्रमुख बड़े मंदिरों में एक महीने तक पौष महोत्सव मनाया जाता है. जयपुर में लगभग 297 वर्षों से पौषबड़ा महोत्सव की परंपरा आज भी बरकरार हैं, शहर के हजारों मंदिरों में पौषबड़ा-हलवा का भोग भगवान को लगाया जाता हैं और फिर प्रसादी के रूप में लोगों को बांटा जाता हैं.
इस महोत्सव के साथ ही शहर के 20 मंदिरों में लक्खी मेला का आयोजन भी होता हैं, पौषबड़ा महोत्सव की शहर में शुरूआत, खोले के हनुमान जी मंदिर से होती है. जिसमें रात 12 बजे हनुमान जी महाराज को पौषबड़ा प्रसादी का भोग लगाया जाता है और फिर भव्य रूप में प्रसादी का वितरण होता है. जयपुर के प्रमुख बड़े मंदिर जिनमें मोतीडूंगरी, गणेश मंदिर, बंगाली बाबा आश्रम, नहर के गणेश जी और मिस्त्रीखाना वाले वीर हनुमान जी सहित सभी छोटे-छोटे मंदिरों में भी पौष महोत्सव मनाया जाएगा.
पौष महीने में पौषबड़ा के 3 बड़ा का महत्वसर्दियों के सीजन में लोगों को गर्म चीजें पंसद रहती हैं, इसलिए सबसे ज्यादा पौष महीने में महोत्सव का आयोजन होता है. राजस्थान के बड़े-बड़े पुजारियों के अनुसार एक संवत्सर में दो मलमास होते हैं, पहला चैत्र और दूसरा है पौष, पौष का संगम शीत ऋतु से है, वहीं सदी में शारीरिक सौष्ठव के लिए तेल से बना तप्त भोजन ठीक रहता है, इसलिए पौष महीने में पौषबड़ा का महत्व सबसे ज्यादा रहता है. पौष के महीने में पौष महोत्सव के साथ दान पुण्य करने की भी अनोखी परम्परा हैं जिसमें लोग तेल, दाल, चीनी व मसाले बांटते हैं.
जयपुर में हजारों किलो तैयार होता है पौषबड़ा-हलवाजयपुर के प्रमुख बड़े मंदिरों में हजारों किलों पौष बड़ा और हलवा तैयार होता हैं, आपको बता दें पौष बड़ा महोत्सव में विशेष रूप से दाल के बड़े और सूजी का हलवा तैयार होता हैं जो भक्तों को बिल्कुल गर्म रूप में परोसा जाता है. एक ही मंदिर में एक साथ हजारों किलो बड़ा और हलवा तैयार होता है, आपको बता दें जयपुर के 1 हजार से अधिक मंदिरों में पौष महोत्सव में लगभग 20 लाख लोग हर साल आंनद लेते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 14:34 IST
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