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राजस्थान वालों सांस लेने पर मंडराया खतरा, हवा में घुल गया है जहर, इस पेड़ ने जीना किया मुहाल

Last Updated:February 25, 2025, 10:09 IST

Chilbil Tree: जयपुर में चिलबिल से एलर्जी के मामले बढ़ रहे हैं. यह हवा में उच्च स्तर पर पाया गया है. चिलबिल का असर सुबह के समय और शाम के समय अधिक होता है.राजस्थान वालों सांस लेने पर मंडराया खतरा, हवा में घुल गया जहर, इस पेड़ ने...

जयपुर की हवा में जहर.

हाइलाइट्स

जयपुर में चिलबिल से एलर्जी के मामले बढ़ रहे हैं.चिलबिल से आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है.सुबह और शाम के समय चिलबिल पराग स्तर अधिक होते हैं.

जयपुर: अगर आपको आंखों में जलन, त्वचा पर चकत्ते, नाक बंद हो रही या सांस लेने में कठिनाई और घरघराहट का अनुभव हो रहा है, तो यह होलोप्टेलिया इंटीग्रिफोलिया ( Holoptelea integrifolia) पोल्लन (पराग) की वजह से हो सकता है. जी हां, यह पोल्लन जयपुर की हवा में इस साल पहली बार सोमवार को पाया गया.

ये पेड़ फैला रहा खतराइसे चिलबिल या बंदर की रोटी के नाम से जाना जाता है. चिलबिल का पेड़ जयपुर में सबसे अधिक एलर्जिक पराग पैदा करने वाला पौधा है और इसका हवा में उपस्थित पराग स्तर एक से दो महीने तक उच्च रहता है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, चिलबिल का पता लगाने के लिए बुर्कार्ड पराग काउंटर का उपयोग किया जाता है, जो हवा में पराग के स्तर को मॉनिटर करने वाला एक उन्नत उपकरण है.

सुबह-शाम खतरा अधिकअस्थमा भवन की निदेशक डॉ. निष्ठा सिंह ने बताया कि चिलबिल का असर सुबह के समय और शाम के समय अधिक होता है, जिससे एलर्जी से प्रभावित व्यक्तियों के लिए बचाव के उपाय करना जरूरी हो जाता है.

अलर्ट होने की जरूरतजयपुर में चिलबिल के पेड़ सड़क किनारे और सार्वजनिक पार्कों में अधिक पाए जाते हैं. सुबह टहलने वाले लोग और आम निवासी बिना यह समझे एलर्जी कहां से हो रही वे इसका शिकार हो जाते हैं. कहीं न कहीं इस एलर्जी का कारण इन पेड़ों में छिपा होता है. डॉक्टरों का कहना है कि चिलबिल पराग एलर्जी के बारे में जागरूकता अभी भी कम है.

Location :

Jaipur,Rajasthan

First Published :

February 25, 2025, 10:09 IST

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