राजस्थान के ‘गरीबों की गुदड़ी’ बनी अमेरिका के ‘अमीरों की शान’, 4 से 10 हजार रुपए तक है कीमत-The poor’s rags are increasing the pride of the rich, there is a huge demand in countries like America and Australia, the cost of making them is negligible
जयपुर ग्रामीण. परंपरागत रूप से गुदड़ी को राजस्थान में गरीबों की रजाई कहा जाता है. पुराने कपड़े से सिलकर बनने वाली गुदड़ी अब अमीरों की शान बनने वाली है. जयपुर ग्रामीण के एक युवक ने अपने आइडिया से हर किसी को प्रभावित किया है. जहां गदड़ी लोगों के लिए रजाई व कंबल का काम करती है. लेकिन इस नौजवान ने गोदड़ी के परंपरागत लुक को कायम रखते हुए आधुनिक ढांचे में ऐसा डिजाइन किया है कि अब यह अमीरों की शान बन गई है.
सांगानेरी प्रिंट से होती है तैयारप्रसिद्ध सांगानेरी प्रिंट की सीट व चद्दर के साथ-साथ सफेद धागों को हाथों से ऐसे डिजाइन किया जाता है जैसे किसी मशीन में बने हो. जयपुर ग्रामीण के रहने वाले नरेंद्र ने अपने घर पर 15 औरतों को प्रशिक्षण देकर एक लघु इकाई उद्योग शुरू किया है. एक औरत एक दिन में 4 से 8 गुदडियां तैयार कर लेती है. नरेंद्र ने लोकल-18 में बातचीत करते हुए बताया कि इस उद्योग से महिलाएं आत्मनिर्भर भी बन रही है.
नरेंद्र ने बताया मैंने कुछ अलग करने के इरादे से इस उद्योग को शुरू किया है. औरतें समूह में रहते हुए सांगानेरी प्रिंट की चद्दर में धागे की महिम डिजाइन करके यह गुदड़िया तैयार करती है. गुदडियां बनाना महिलाओं के लिए बहुत ही सरल कार्य है केवल इसे नया लुक देना होता है. क्योंकि महिलाएं गुदड़िया बनाने के काम में निपुण मानी जाती हैं.
नींद की बीमारियां भी होती हैं ठीककॉटन और सूती धागों से बनी इस राजस्थानी गुदड़िया के प्रयोग से नींद लेना बहुत सरल व सुखद हो जाता है. गुदड़ी की डिजाइन व कलर का प्रयोग ऐसे किया जाता है जो वास्तु शास्त्र के अनुसार होते हैं ऐसे में गुदडी के प्रयोग से नींद लेना बहुत आसान होता है.
कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में है भारी मांगजयपुर ग्रामीण में बनी इस परंपरागत डिजाइन वाली गुदडियों की मांग कनाडा, ऑस्ट्रेलिया व अमेरिका के फाइव स्टार होटलों में बनी रहती है. नरेंद्र बताते हैं कि ट्रेडिशनल बाजार में स्टाल लगाकर परंपरागत डिजाइन वाली इस गुदड़ी को बेचा जाता है. उन्होंने बताया कि एक गुदड़ी चार हजार से दस हजार तक बिक जाती है. गुदड़ी बनाने की लागत बहुत कम होती है. ऐसे में इस उद्योग से नरेंद्र महीने के लाखों रुपए कमा रहे हैं.
नरेंद्र ने बताया कि अब वह इस उद्योग को राजस्थान के कोने कोने में पहुंचने के लिए के लिए अलका फाउंडेशन एनजीओ की मदद भी ले रहे हैं, ताकि राजस्थान की परंपरागत गुदड़ी गरीबों की नहीं अमीरों की शान बन सके. नरेंद्र के अथक प्रयास ने राजस्थान की परंपरागत गुदड़ी को अब देश विदेश में भी प्रसिद्ध कर दिया.
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FIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 14:59 IST