‘भंवरों की देवी’ की मंदिर में पुजारी-पुलिस में हो गई तगड़ी मारपीट, औरंगजेब भी खाता था जीण माता से खौफ

सीकर. राजस्थान के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ जीण माता मंदिर में देर रात बवाल हो गया. गुरुवार रात 12 बजे बत्तीसी संघ के लोग धोक लगाने मंदिर में पहुंचे तो प्रशासन व पुजारियों के बीच कहासुनी हो गई. बाद में पुलिस प्रशासन व पुजारियों के बीच मारपीट हो गई, करीब आधा घंटे तक प्रशासन व पुजारियों के बीच मारपीट होती रही. इस दौरान मंदिर परिसर में तोड़फोड़ भी की गई. पुजारियों का आरोप है कि पुलिस ने पहले पुजारी परिवार को पीटा और इसके बाद पूरे मंदिर परिसर में भगदड़ मच गई.
पुजारियों ने मंदिर के सभी गेट बंद कर लिए, मंदिर परिसर में भगदड़ की स्थिति होने पर पूरा परिसर खाली हो गया और मामले में पुलिस ने पुजारी परिवार के दो युवकों को गिरफ्तार किया है. मंदिर परिसर को चारों तरफ बंद कर पुजारी परिवार के लोग अंदर बैठ गए.
कलेक्टर और एसपी रात एक बजे मौके पर पहुंचेइधर, पुजारियों के अनुसार घटना के बाद बत्तीसी संघ के लोगों ने भी गेट पर लाठियों से वार किया है. घटना की सूचना मिलने पर देर रात करीब एक बजे कलेक्टर मुकुल शर्मा और एसपी भुवन भूषण यादव व एसडीएम मोनिका सामोर भी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया. दोनों पक्षों से बातचीत शुरू की और मामले को लेकर प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया, लेकिन किसी ने फोन रिसीव नहीं किया. रात को दो बजे बाद दोनों पक्षों से समझाइश का दौर चलता रहा.
आपको बता दें कि जीण माता मंदिर के पुजारी और बत्तीसी संघ के बीच विवाद चल रहा है. पिछली बार नवरात्र के समय भी बत्तीसी संघ लोगों ने व्यवस्था को लेकर धरने पर बैठ गए थे. तब भी विवाद हुआ था, लेकिन इस बार बात लड़ाई झगड़े पर आ पहुंची है.
क्या है बत्तीसी संघबाघोली, पचलंगी, पापड़ा, नीमकाथाना, नयाबास, राणासर जोधपुरा सिरोही सहित अन्य गांवों से श्रद्धालु जीण माता धाम के लिए निशान पदयात्रा, सिरपर जलती हुई सिगड़ी लेकर ,ऊंट गाड़ी, ट्रैक्टर ट्रॉली में बैठकर रवाना होते हैं. इसको बत्तीसी का संघ कहा जाता है, जैसे-जैसे संघ आगे बढ़ता है कारवां जुड़ता जाता है. यह संघ जीणमाता धाम में मेले में पहुंचता है, वहां अपने निशान अर्पित करते हैं और श्रद्धालुओं ने बताया कि कई मन्नत मांगने के लिए सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर चलते हैं, तो कई मन्नत पूरी होने पर जलती हुई सिगड़ी लेकर जाते हैं. यह परम्परा कई साल पुरानी है.
जब माता के चमत्कार से औरंगजेब डराबता दें कि जीण माता मंदिर सीकर के अरावली पहाड़ियों के बीच रलावता गांव में है. माता के भक्तों के अनुसार यह प्राचीन और प्रसिद्ध शक्ति पीठ है. जीण माता कई समुदायों की कुलदेवी हैं. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार एक बार मुगल बादशाह औरंगजेब ने शेखावटी इलाके में मंदिरों को नष्ट करने के लिए एक विशाल सेना भेजी. मुगल सेना हर्ष पर्वत के पास हर्षनाथ भैरव मंदिर को नष्ट करने के बाद जीण माता मंदिर की ओर बढ़ी.
अचानक ने मधुमक्खियों ने (भंवरों) ने मुगल सेना पर हमला कर दिया. मधुमक्खियों ने दिल्ली तक मुगल सेना का पीछा किया. स्थानीय लोग इसे जीण माता का चमत्कार मानते हैं. इसके बाद जीण माता को ‘भंवरों की देवी’ कहा जाने लगा. कहा जाता है कि इस घटना से डरने के बाद औरंगजेब ने माफी मांगी और मंदिर में एक अखंड ज्योति जलाने का वादा किया. इसके लिए तेल दिल्ली दरबार से भेजा गया.
ऐसा भी कहा जाता है कि एक बार औरंगजेब को कुष्ठ रोग हो गया. उसने जीण माता से प्रार्थना कि अगर वह ठीक हो जाएगा तो मंदिर में स्वर्ण छत्र चढ़ाएगा. रोग ठीक होने पर उसने ऐसा किया, और यह छत्र आज भी मंदिर में मौजूद है.