धौलपुर का लाल सोना! लाल किला से राष्ट्रपति भवन तक शाही पहचान बनाने वाला पत्थर, 200 साल बाद भी ताकत व चमक बरकरार

Last Updated:November 21, 2025, 12:57 IST
Dholpur Red Sandstone : राजस्थान का धौलपुर केवल एक जिला नहीं, बल्कि भारत की शाही वास्तुकला का गर्व है. यहां निकला लाल बलुआ पत्थर मुगल काल से आज तक देश की ऐतिहासिक इमारतों की पहचान बन चुका है. लाल किला, संसद भवन से लेकर धौलपुर के अधूरे ताजमहल तक – हर पत्थर भारत की विरासत और धौलपुर की चमक को बयां करता है.
सचिन शर्मा/धौलपुर : राजस्थान का धौलपुर अपने लाल सोना के लिए जाना जाता है ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यहां के लाल पत्थर से भारतवर्ष में कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण हुआ. राजस्थान का धौलपुर अपनी प्राकृतिक संपदा और खनिज संपदा की दृष्टि से भी काफी संपन्न जिला माना जाता है. धौलपुर का लाल बलुआ सफेद पत्थर भारतवर्ष में अपनी विशिष्ट पहचान मुगल काल से लेकर आजादी के बाद तक भी रख रहा है.
दिल्ली का मुगल बादशाह बाबर ने भी अपने द्वारा लिखित ग्रंथ बाबर नामा में भी धौलपुर के लाल बलुआ सफेद पत्थर का जिक्र करते हुए कहा था कि इस पत्थर का व्यवसायिक प्रयोग करने के लिए मजदूर और कारीगर इस इलाके में शुरू से ही कार्यरत रहे हैं. मुगल वंश के समय से ही इस लाल बलुआ पत्थर से दिल्ली का लाल किला, फतेहपुर सीकरी का बुलंद दरवाजा और भी कई ऐतिहासिक इमारतों में इसे लगवाया गया. आज भी यह पत्थर मुगल काल के इतिहास का स्मरण कराता है.
धौलपुर लाल पत्थर: शाही धरोहरधौलपुर रियासत में भी लाल बलुआ पत्थर से कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण हुआ जिन्हें हम Brand Ambassador of Building भी कह सकते हैं. धौलपुर के महाराजा कीरत सिंह ने छावनी के महल और महाराज भगवंत सिंह ने मचकुंड सरोवर के किनारे कई ऐतिहासिक मंदिरों का निर्माण करवाया और अपनी प्रियशी गजरा की याद में इसी पत्थर से अधूरे ताजमहल का निर्माण करवाया जिसकी इमारत आज भी अमर प्रेम कहानी की गवाह बनी हुई है.
सबसे ऊंचा समय यंत्र धौलपुर महाराजा निहाल सिंह ने इसी लाल बलुआ पत्थर से राजस्थान का सबसे ऊंचा समय सूचक यंत्र बनवा दिया था जो आज भी 100 वर्षों से अधिक के इतिहास को जिंदा रखता है. महाराजा उदयभान सिंह ने बारहदरी, टाउन हॉल, सिटी हॉल, जैसी कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण इसी लाल बलुआ पत्थर से करवाया था धौलपुर के महाराज रामसिंह ने धौलपुर बाड़ी रेलवे का जन्म ही इसी शाही पत्थर को बाड़ी से धौलपुर पहुंचाने के लिए किया था. अंग्रेजों नें अपने शासन के समय भी इसी लाल बलुआ सफेद पत्थर से पुरानी संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, जैसी कई शाही ईमारतों का निर्माण करवाया था.
धौलपुर के लाल बलुआ सफेद पत्थर का महत्व…धौलपुर का लाल बलुआ पत्थर 200 वर्षों से अधिक समय तक भी अपना अस्तित्व बनाए रखता है. इस पत्थर से बनी इमारतें गर्मियों में ठंडी और सर्दियों में गर्म रहती है. लाल बलुआ पत्थर पर नक्काशी करना आसान होता है और यह लंबे समय तक टिकाऊ और मजबूती के साथ रहता है, इस पत्थर में उच्च संपीड़न शक्ति होती और यह दाग और जंग के प्रतिरोधी होता है. पानी पड़ने पर इसकी चमक दुगनी हो जाती है. यह लाल बलुआ पत्थर आज भी भारतवर्ष की समृद्ध स्थापत्य कला व संस्कृति की विरासत का प्रतीक है.
Rupesh Kumar Jaiswal
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन… और पढ़ें
Location :
Dhaulpur,Rajasthan
First Published :
November 21, 2025, 12:55 IST
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धौलपुर का लाल सोना! लाल किला से राष्ट्रपति भवन तक शाही पहचान का पत्थर…



