The residents of Alwar are crazy about the Lassi of this small shop, times have changed but the taste has not – News18 हिंदी
पीयूष पाठक/अलवर: गर्मियों के चलते लोग पेय पदार्थ पर ज्यादा निर्भर करते है. जिस से उन्हें भीषण गर्मी मे सहारा मिलता है. अलवर मे एक खास लस्सी की याद हर किसी को आती है. अलवर मे संतोष कलर वाली रस्सी की जबरदस्ती डिमांड होती है वह दिन प्रतिदिन करीब 300 से ज्यादा कुल्लड लस्सी बेच देते हैं. अलवर शहर में यह एकमात्र ऐसी दुकान है. जिसका लस्सी बनाने का तरीका भी खास है. मशीनों के युग में इस दुकान पर आज भी लकड़ी के बिलोने से हाथ से दही बिलोकर लस्सी बनाई जाती है.
संतोष लस्सी हाउस पर लस्सी बनाने वाले तरुण ने बताया कि उनकी दुकान की शुरुआत 1976 में हुई. पहले उनकी दुकान मालाखेड़ा बाजार में थी. 20 साल बाद उन्होंने अपनी दुकान को अशोक टॉकीज के सामने शिफ्ट किया. तरुण ने बताया कि समय बदलने के साथ कई चीज बदल जाती है. लेकिन हमारी लस्सी का स्वाद आज भी पहले जैसा ही है. स्वाद के चलते ही आज भी हमारी दुकान पर लोगों को जमा उड़ा रहता है. शुरुआती समय से ही हमारी दुकान पर लस्सी को हाथ से बिलोकर मिट्टी के कुल्लड में दिया जाता था.
छोटे कुल्लड की रेट 30 रुपए
तरुण ने बताया कि हमारी दुकान पर लस्सी के अलावा पनीर, कलाकंद, दही भी शुद्ध मिलता है. हमारी दुकान पर लस्सी पीने के लिए लोगों की होड़ रहती है. हमारे यहां बड़े कुल्लड़ की रेट 40 रुपये व छोटे कुल्लड की रेट 30 रुपए हैं. तरुण के अनुसार इस दुकान 200 ग्राम क्वांटिटी में एक लस्सी ग्लास बनाया जाता है.
बादाम शरबत की गार्निश लोगों को आती है पसंद
तरुण ने बताया कि हमारी दुकान पर आने वाले लोगों को लस्सी में बादाम व शरबत से गार्निश कर दी जाती है. हमारी लस्सी की खासियत यह है की दही जमाते समय दूध में पानी नहीं मिलाते, जिससे यह बहुत गाढ़ा बनता है. इसे कुल्लड में परोसा जाता है. लोगों को हमारी लस्सी पर बादाम- शरबत की गार्निश काफी पसंद आती है.
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FIRST PUBLISHED : April 24, 2024, 12:17 IST