टूट गई प्यार की दूसरी कड़ी भी, मौखमपुरा में ग्रामीणों के कहर के शिकार हुए प्रेमी जोड़े ने कहा दुनिया को अलविदा

जयपुर. जयपुर से 45 किलोमीटर दूर मौखमपुरा थाना क्षेत्र का बांडोलाव गांव पिछले चार दिनों से ऐसा महसूस कर रहा है, मानो समय ठहर गया हो. खेतों के बीच हवा में घुली राख की गंध, टूटी झोपड़ी की काली दीवारें और गांव के हर आंगन में फैला सन्नाटा. सब कुछ उस खौफनाक रात की कहानी खुद ब खुद सुना देता है. शनिवार देर रात, जब पूरा गांव नींद में था, तभी खेत की एक झोपड़ी में अचानक उठी आग की लपटों ने दो ज़िंदगियों को निगल लिया. कैलाश गुर्जर और सोनी देवी, जो अपनी-अपनी जिम्मेदारियों में डूबे दो साधारण इंसान थे, अचानक ऐसी आग में फंस गए जिससे बच पाने का कोई रास्ता नहीं था.
कैलाश चीखते हुए झोपड़ी से बाहर भागा, उसके कपड़ों से लपटें टकरा रही थीं. वह जैसे-तैसे पास रखे पानी के टब में कूदा, लेकिन तब तक उसका शरीर लगभग जल चुका था. खेत के दूसरी तरफ सोनी देवी आग में झुलसी जमीन पर गिरी पड़ी मिली. गांव वाले बताते हैं कि उनका वह दर्दनाक दृश्य आज भी आंखों के सामने घूम जाता है. दोनों को पहले बिचून अस्पताल और फिर SMS अस्पताल ले जाया गया, लेकिन किस्मत ने किसी को नहीं बख्शा. कैलाश ने पहले दम तोड़ा, और आज सोनी देवी भी जिंदगी की लड़ाई हार गई.
रंजिश की कहानी- दो परिवार, दो साल पुरानी दुश्मनीगांव में उस रात के बाद तरह-तरह की बातें उड़ने लगी थीं. किसी ने इसे प्रेम प्रसंग बताया, किसी ने छुपे संबंधों की कहानी जोड़ दी. लेकिन जब परिजन सामने आए, सच बिल्कुल उलटा निकला. दोनों परिवारों के बीच दो साल से जमी रंजिश इस सब की जड़ थी. बात उस दिन की है जब सोनी देवी के जेठ के बेटे और कैलाश के भाई की बेटी ने घर से भागकर शादी कर ली थी. दोनों घरों की इज्जत, मान-अपमान और रिश्तों का बोझ धीरे-धीरे दुश्मनी में बदल गया. कैलाश शादीशुदा था, तीन छोटे बच्चे थे और खेत-खलिहान के बीच जिम्मेदार जिंदगी जी रहा था. सोनी देवी के पति की छह साल पहले मौत हो चुकी थी और वह दो बच्चों के साथ जीवन संभाल रही थी. परिजन साफ कहते हैं कि दोनों का किसी तरह का प्रेम संबंध नहीं था. यह बदले की आग थी, जिसने योजनाबद्ध तरीके से दो जिंदगियों को खत्म कर दिया.
घटनास्थल के सबूत- पिघली तिरपाल और कटे फेंसिंग की कहानीजिस खेत में यह त्रासदी हुई, वहां आज भी जली हुई तिरपाल हवा में सरसराती है. जगह-जगह पिघले प्लास्टिक, राख और आधी जली कपड़ों के टुकड़े बताते हैं कि यहां सिर्फ एक झोपड़ी नहीं जली, बल्कि दो परिवारों की आशाएं जलकर राख हो गईं. FSL टीम ने पाया कि आग लगाने के लिए पेट्रोल का उपयोग किया गया था. फेंसिंग पीछे की ओर काटी गई थी, जो इशारा करती है कि हमलावर आधी रात को चुपचाप अंदर घुसे और झोपड़ी पर पेट्रोल उड़ेल दिया. सब कुछ इतनी तैयारी से हुआ कि किसी को भनक भी नहीं लगी.
पोस्टमार्टम, पुलिस कार्रवाई और गांव का डर अभी भी बाकीकैलाश और सोनी देवी, दोनों के शवों का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया गया है. परिवार का आरोप है कि यह हमला अकेले दो लोगों का नहीं था. कई लोग शामिल थे, जिन्होंने मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया. अभी तक दो आरोपी- बिरदीचंद और गणेश गिरफ्तार किए जा चुके हैं और पुलिस आगे की तलाश में जुटी है. गांव में अभी भी मातम और खौफ का माहौल है. लोग कहते हैं कि रात के बाद आज तक कोई खेत की ओर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा. यहां सिर्फ एक घटना नहीं हुई, यहां भरोसा टूटा है, रिश्ते टूटा हैं और दो परिवार हमेशा के लिए अधूरे रह गए हैं.



