What is my fault: wrong intentions, dirty talk with my faith | मेरा क्या कसूर: गलत नीयत, गंदी बात मेरी अस्मत के साथ

राजधानी जयपुर में लाख जतन के बावजूद बालिकाओं के खिलाफ यौन उत्पीडऩ के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे। हर दिन शहर के किसी न किसी इलाके में नाबालिग को कुंठित नजरों का शिकार बनाया जा रहा है
जयपुर
Published: February 22, 2022 07:18:48 pm
राजधानी जयपुर में लाख जतन के बावजूद बालिकाओं के खिलाफ यौन उत्पीडऩ के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे। हर दिन शहर के किसी न किसी इलाके में नाबालिग को कुंठित नजरों का शिकार बनाया जा रहा है। उन्हें गलत नीयत और गंदे हाथों से छूआ जा रहा है। निर्वस्त्र कर अस्मत से खेला जा रहा है। हैवानियत के पीछे कोई अपना हो सकता है। परिचित या फिर कोई अज्ञात भी लिप्त हो सकता है। राज्य सरकार ने कितने ही कड़े कानून बना दिए हों फिर भी अपराधी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। पुलिस की सख्ती और कानून की दुहाई भी नकेल डालने में विफल ही साबित हो रहे हैं। कहीं लालच तो कहीं झांसा देकर शिकार बनाया जा रहा है। जहां पर ये दोनों ही पासे फेल हो रहे हैं वहां धमकी के सहारे बच्चियों का उत्पीडऩ किया जा रहा है।

प्रतीकात्मक फोटो।
हैवानों को नहीं कोई डर : खास बात यह है कि बालिकाओं का यौन शोषण करने वालों को कानून का जरा सा भी खौफ नहीं रहा। इस तरह के अपराधी रात के अंधेरे में ही नहीं दिन के उजाले में भी बालिकाओं के खिलाफ यौन अपराध करने से नहीं डर रहे। पिछले दिनों ऐसे ही एक दोषी को कोर्ट ने मृत्युदंड दिया था बावजूद इसके बालिकाओं के खिलाफ रेप के मामलों में जरा भी कमी नजर नहीं आ रही। अब जरा इन मामलों पर गौर करें तो नजरें शर्म से झुक जाती है। प्रदेश की राजधानी में ही जब बालिकाएं सुरक्षित नहीं हैं तो अन्य जिलों का क्या हाल होगा सोचकर ही सिहरन दौड़ जाती है।
शर्म से झुक जातीं नजरें : हाल ही कालवाड़ इलाके में स्कूल जा रही किशोरी को झांसा दे अगवा कर लिया गया। कार में परिचित ने पानी दिया जिसको पीने के बाद नाबालिग अचेत हो गई। होश आया तो खुद को कमरे में निर्वस्त्र पाया। जैसे-तैसे वहां से भागी और परिजनों को आपबीती बताई। इसी तरह वैशाली नगर में घर से बाहर निकलते ही आरोपी एक बच्ची का मुंह दबाकर अंधेरी गली में ले गया। वह कुछ समझ पाती उससे पहले ही उसके कपड़े फाड़ दिए और शिकार बना लिया। लेकिन बच्ची की चीख सुनकर लोगों ने आरोपी को पकड़ पीट दिया। विश्वकर्मा में तो मजदूर परिवार पर मुसीबतों का जैसे पहाड़ टूट पड़ा। मासूम जिसे अंकल कहती थी उसी ने एक नहीं दो बार यौन अपराध कर डाला। बच्ची की हालत बिगड़ी तो घर के पास छोड़कर भाग गया। परिजनों को बात पता चली तो वे सकते में आ गए। भट्टा बस्ती में तो राशन लेने गई बच्ची से दुकानदार ने वो सब कर डाला जिसकी पीडि़ता ने सपने में भी कल्पना नहीं की होगी। ये तो वो केस हैं जो थाने तक पहुंच गए। अखबार में छप गए लेकिन उनका क्या जो मन के किसी कोने में डर के कारण अब भी दबे हुए हैं।
क्या कभी रुकेगा ये सब : सवाल यह उठता है कि ये सब रुके कैसे? इस बारे में यही कहा जा सकता है कि खाकी को और सख्ती बढ़ानी होगी। राज्य सरकार को कानून और कड़े करने होंगे ताकि अपराधियों की सजा के नाम पर रूह कांप उठे। बच्चियों को भी बैड टच को लेकर और ज्यादा जागरूक होना होगा। डरने की जगह पलटवार करने की हिम्मत दिखानी होगी। खुद को पहले से ज्यादा स्मार्ट बनना होगा। आत्मरक्षा के गुर में महारत हासिल करनी होगी। सबसे ऊपर एक मां को अपने बेटों को लड़कियों को सम्मान से देखने और बर्ताव करने के संस्कार घर से ही देने होंगे। समाज को नजरिया बदलना होगा तभी बच्चियों के खिलाफ यौन अपराध रुकेंगे।
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