Rajasthan

हैदराबाद के घंटाघरों की खामोश धड़कनें! कभी शहर का टाइमकीपर, आज इतिहास की अनसुनी विरासत 

Last Updated:November 27, 2025, 13:41 IST

Ghantaghars of Hyderabad : हैदराबाद की पहचान चारमीनार और कुतुब शाही वास्तुकला तक सीमित नहीं, यहां के घंटाघर भी शहर के इतिहास, संस्कृति और बदलते समय के गवाह रहे हैं. कभी ये लोगों को सही दिशा और समय दिखाते थे, आज इनमें छुपी कहानियां उपेक्षा की धूल में दब गई हैं. नवीनीकरण के बाद फिर से ये शहर की विरासत को नई आवाज देने की कोशिश कर रहे हैं.हैदराबाद अपने ऐतिहासिक स्मारकों और आकर्षक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है लेकिन इनके बीच शहर के घंटाघर अक्सर उपेक्षित रह जाते हैं। एक समय था जब ये प्रतिष्ठित संरचनाएँ न केवल समय बताने का काम करती थीं बल्कि लोगों को जोड़ने और शहर की व्यस्त सड़कों पर मार्गदर्शक का कार्य भी करती थीं। समय और तकनीकी प्रगति ने इनके महत्व को कम कर दिया लेकिन इनकी कहानियाँ आज भी इनकी दीवारों में जीवित हैं।

हैदराबाद अपने ऐतिहासिक स्मारकों और आकर्षक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है लेकिन इनके बीच शहर के घंटाघर अक्सर उपेक्षित रह जाते हैं. एक समय था जब ये प्रतिष्ठित संरचनाए न केवल समय बताने का काम करती थीं बल्कि लोगों को जोड़ने और शहर की व्यस्त सड़कों पर मार्गदर्शक का कार्य भी करती थीं. समय और तकनीकी प्रगति ने इनके महत्व को कम कर दिया लेकिन इनकी कहानियां आज भी इनकी दीवारों में जीवित हैं.

महबूब चौक घंटाघर 1892 में असमान जाह द्वारा निर्मित यह तुर्की शैली का मीनार चारमीनार के पश्चिम में स्थित है। यह महबूब चौक के ऐतिहासिक परिवेश का हिस्सा है और एक छोटे से बगीचे के बीचों-बीच खड़ा है। 2020 में इसका नवीनीकरण किया गया जिसमें इसकी मूल स्थापत्य शैली को बरकरार रखा गया।

महबूब चौक घंटाघर<br />1892 में असमान जाह द्वारा निर्मित यह तुर्की शैली का मीनार चारमीनार के पश्चिम में स्थित है. यह महबूब चौक के ऐतिहासिक परिवेश का हिस्सा है और एक छोटे से बगीचे के बीचों-बीच खड़ा है. 2020 में इसका नवीनीकरण किया गया जिसमें इसकी मूल स्थापत्य शैली को बरकरार रखा गया.

सिकंदराबाद घंटाघर 1860 में निर्माण शुरू हुआ और 1897 में उद्घाटन हुआ। 120 फुट ऊँची यह संरचना एक हरे-भरे बगीचे के केंद्र में स्थित है, जो एक समय में सैनिकों और स्थानीय लोगों का प्रमुख मिलन स्थल हुआ करती थी। जीर्णोद्धार के बाद आज भी यह घड़ी कार्यरत है।

सिकंदराबाद घंटाघर<br />1860 में निर्माण शुरू हुआ और 1897 में उद्घाटन हुआ. 120 फुट ऊंची यह संरचना एक हरे-भरे बगीचे के केंद्र में स्थित है, जो एक समय में सैनिकों और स्थानीय लोगों का प्रमुख मिलन स्थल हुआ करती थी. जीर्णोद्धार के बाद आज भी यह घड़ी कार्यरत है.

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मोअज्जम जाही मार्केट घंटाघर 1930 में निज़ाम उस्मान अली खान के शासनकाल में निर्मित यह घंटाघर इस ऐतिहासिक बाजार की भव्य वास्तुकला का अभिन्न अंग है। बाजार के केंद्र में स्थित होने के कारण इसे हर कोने से देखा जा सकता है, जिससे दुकानदारों और ग्राहकों को समय का ध्यान रहता है। 2020 में हुए एक परियोजना के तहत इसे पुनर्जीवित किया गया।

मोअज्जम जाही मार्केट घंटाघर<br />1930 में निज़ाम उस्मान अली खान के शासनकाल में निर्मित यह घंटाघर इस ऐतिहासिक बाजार की भव्य वास्तुकला का अभिन्न अंग है. बाजार के केंद्र में स्थित होने के कारण इसे हर कोने से देखा जा सकता है, जिससे दुकानदारों और ग्राहकों को समय का ध्यान रहता है. 2020 में हुए एक परियोजना के तहत इसे पुनर्जीवित किया गया.

मोंड़ा मार्केट घंटाघर सिकंदराबाद के व्यस्त मोंड़ा मार्केट में स्थित यह कम चर्चित मीनार 1940 में धनी डुंडू परिवार द्वारा आर्ट डेको शैली में बनवाई गई थी। यह हैदराबाद के व्यापारिक इतिहास की गवाह है।

मोंड़ा मार्केट घंटाघर<br />सिकंदराबाद के व्यस्त मोंड़ा मार्केट में स्थित यह कम चर्चित मीनार 1940 में धनी डुंडू परिवार द्वारा आर्ट डेको शैली में बनवाई गई थी. यह हैदराबाद के व्यापारिक इतिहास की गवाह है.

चौमहल्ला महल का घंटाघर या खिलाफत घड़ी चौमहल्ला महल के मुख्य द्वार पर स्थित यह तीन मंजिला मीनार 1750 से अस्तित्व में है। इसमें मुगल शैली के झरोखे हैं, और एक विशेषज्ञ परिवार प्रति सप्ताह इस यांत्रिक घड़ी को संचालित करता है।

चौमहल्ला महल का घंटाघर या खिलाफत घड़ी<br />चौमहल्ला महल के मुख्य द्वार पर स्थित यह तीन मंजिला मीनार 1750 से अस्तित्व में है. इसमें मुगल शैली के झरोखे हैं, और एक विशेषज्ञ परिवार प्रति सप्ताह इस यांत्रिक घड़ी को संचालित करता है.

जेम्स स्ट्रीट पुलिस स्टेशन घंटाघर सिकंदराबाद के एमजी रोड पर स्थित इस पुलिस स्टेशन का घंटाघर 1900 के दशक की शुरुआत में अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया था। इसके निर्माण में सेठ रामगोपाल के दान का योगदान रहा। यह घंटाघर शहर की अँग्रेजी वास्तुशिल्प विरासत का प्रतीक है।

जेम्स स्ट्रीट पुलिस स्टेशन घंटाघर<br />सिकंदराबाद के एमजी रोड पर स्थित इस पुलिस स्टेशन का घंटाघर 1900 के दशक की शुरुआत में अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया था. इसके निर्माण में सेठ रामगोपाल के दान का योगदान रहा. यह घंटाघर शहर की अंग्रेजी वास्तुशिल्प विरासत का प्रतीक है.

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November 27, 2025, 13:41 IST

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समय के साथ बदल गया महत्व लेकिन दीवारों में जिंदा हैं घंटाघरों की कहानियां

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