मुंह में घुल जाने वाली 100 साल पुरानी करौली के कुटेमा गजक की दास्तान…इसे विदेशों तक पसंद करते है लोग

Last Updated:October 27, 2025, 15:40 IST
सर्दियों की ठंडी हवाओं के साथ करौली की गलियों में फैलती है गुड़ और तिल की खुशबू. चार पीढ़ियों से बनने वाली कुटेमा गजक यहां के लोगों और विदेशों में बसे भारतीयों की पसंदीदा मिठास बन चुकी है. मुंह में रखते ही घुल जाने वाली इसकी खस्ता बनावट और अनोखा स्वाद हर किसी को अपनी ओर खींचता है.
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करौली. सर्दी की दस्तक के साथ ही करौली में कुटेमा गजक का कारोबार फिर से रफ्तार पकड़ने लगा है. जैसे ही ठंडी हवाएं चलनी शुरू होती हैं, करौली की गलियों में गुड़ और तिल की खुशबू फैल जाती है. इस मौसम में यहां दर्जनों मुस्लिम परिवार गजक बनाने में जुट जाते हैं. करौली की कुटेमा गजक का कारोबार करीब 100 साल पुराना माना जाता है और आज भी इसकी लोकप्रियता देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक फैली हुई है.
करौली की इस खास गजक की पहचान इसकी खस्ता बनावट और मुंह में रखते ही घुल जाने वाले स्वाद से होती है. स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां की गजक का स्वाद अन्य जगहों से बिल्कुल अलग है. लोग बताते हैं कि यहां के मौला गजक भंडार की कुटेमा गजक मुंह में रखते ही पानी हो जाती है और इसका स्वाद सबसे हटके है. सर्दी का मौसम शुरू होते ही इस दुकान पर शाम के समय ग्राहकों की लंबी कतारें लग जाती हैं.
परिवार में यह व्यवसाय चार पीढ़ियों से चल रहा
करौली के मौला गजक भंडार के संचालक पप्पू भाई बताते हैं कि उनके परिवार में यह व्यवसाय चार पीढ़ियों से चल रहा है. वह कहते हैं, “हम सबसे बढ़िया तिल और गुड़ का इस्तेमाल करते हैं. हमारे बाबा के समय से कुछ खास नुस्खे भी हैं, जिनसे गजक और भुरभुरी बनती है.” पप्पू भाई बताते हैं कि सर्दियों में रोजाना तीन से चार कुंतल गजक की खपत होती है. यह गजक न केवल राजस्थान के विभिन्न शहरों में भेजी जाती है बल्कि विदेशों तक इसकी मांग रहती है. जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, लंदन, दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान जैसे देशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोग करौली की गजक खासतौर पर मंगवाते हैं. विदेशों में बसे करौली निवासी सर्दियों के आते ही इसकी डिमांड करना शुरू कर देते हैं.
₹280 से ₹320 प्रति किलो तक बिकने वाली यह कुटेमा गजक आज भी करौली की सर्दियों की पहचान बनी हुई है. चाहे स्थानीय लोग हों या पर्यटक, हर किसी की सर्दियों की मिठास करौली की इस गजक के बिना अधूरी है.
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW… और पढ़ें
Location :
Karauli,Rajasthan
First Published :
October 27, 2025, 15:40 IST
homerajasthan
जानिए करौली की 100 साल पुरानी कुटेमा गजक क्यों है विदेशों में भी लोकप्रिय



