बहुत अनोखा है मंदिर, महाराज खुद सांप बनकर भक्तों को देते हैं दर्शन! दूर होते है कष्ट
सीकर. तेजाजी राजस्थान के प्रमुख लोक देवताओं में से एक माना जाता है. तेजाजी की पूजा राजस्थानी नहीं बल्कि विदेशों में भी होती है. इसके अलावा राजस्थान के कोने-कोने में तेजाजी महाराज के मंदिर बने हुए हैं. यह सभी मंदिर अपनी एक विशेष पहचान रखते हैं. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां सर्प दंश का इलाज किया जाता है.
सीकर जिले के पचार गांव में यह तेजाजी महाराज का सालों पुराना एक ऐसा मंदिर है. लोगों की मान्यताओं के अनुसार यहां तेजाजी महाराज सर्प का रूप लेकर भक्तों को दर्शन देते हैं. यहां हर साल तेजा दशमी पर तेजाजी महाराज का मेला लगता है, जिसमें घोड़ले (तेजाजी महाराज के उपासक) गाजे-बाजे के साथ गांव के मुख्य मार्गो से बिंदोरी निकालते हुए थान (तेजाजी महाराज का मुख्य मंदिर) पर पहुंचते हैं और लोगों की समस्या सुन उसका इलाज बताते हैं.
सांप के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं तेजाजी तेजाजी महाराज मंदिर के मुख्य पुजारी भगवान सहाय प्रजापत ने बताया कि जब भी यहां भक्तों का सैलाब लगता है तो तेजाजी महाराज खुद सर्प का रूप लेकर भक्तों को दर्शन देते हैं और उनकी मनोकामना भी पूर्ण करते हैं. इसी कारण इस गांव में लोगों को सर्प देखने पर उसे मारा नहीं जाता है, बल्कि तेजाजी महाराज के घोड़ले को बुलाकर उसे थान (तेजाजी का मंदिर) पर छोड़ दिया जाता है. वह सांप थान के परिक्षेत्र में ही रहता है. वह किसी ग्रामीण को नुकसान नहीं पहुंचाता है बल्कि ग्रामीण उस सांप को दूध पिलाते हैं.
तेजाजी के थान पर सर्प दंश का होता है इलाजलोगों के अनुसार तेजाजी महाराज के इस मंदिर में सर्पदंश का इलाज होता है. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव में जब भी किसी के घर सर्प आता है तो तेजाजी महाराज के मुख्य पुजारी (घोड़ले) को बोलते है. मुख्य पुजारी पहले मंदिर में जाकर तेजाजी महाराज की पूजा अर्चना करता है और फिर उस सर्प को लेने जाता है. लोगों की मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने के बाद सर्प किसी भी व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाता है बल्कि आसानी से घोड़ले के पास चला आता है.
घोड़ले उस सर्प को मंदिर परिसर में छोड़ देते हैं. जब भी गांव के किसी व्यक्ति को सर्प काटता है तो उसे तेजाजी महाराज के मुख्य स्थान पर लाया जाता है जहां तेजाजी महाराज के मुख्य मंदिर के पुजारी वह इसका इलाज करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 23, 2024, 10:36 IST