बीकानेर में होली समापन की अनोखी परंपरा, शीतला अष्टमी को लेकर होता हाई खास आयोजन, जुटते हैं सोनार समाज के सभी लोग

Last Updated:March 22, 2025, 20:54 IST
बीकानेर शहर में होलास्टक लगने के साथ सेवग समाज के लोग होली की शुरुआत करते हैं और शीतला अष्टमी की रात को गोगागेट के पास से ब्राह्मण स्वर्णकार समाज के लोग सोनारों के मोहल्ले की गलियों में गेर के रूप में पौराणिक ल…और पढ़ेंX
बीकानेर में सुनारों के मोहल्ले में भी थंब पूजन होता है.
हाइलाइट्स
बीकानेर में शीतलाष्टमी पर होता है होली का समापनशीतलाष्टमी पर होता है रम्मत और थंब पूजन100 सालों से चली आ रही है परंपरा
बीकानेर. बीकानेर की होली अपने आप में खास है. जहां देशभर में होली का पर्व खत्म हो चुका है, वहीं बीकानेर में होली का उत्सव शीतलाष्टमी तक चलता है. शीतलसप्तमी पर शहर में दो रम्मत होती हैं और थंब पूजन होता है. होलास्टक लगते ही शहर में जगह-जगह थंब पूजन होते हैं, और सुनारों के मोहल्ले में भी थंब पूजन होता है. होलास्टक खत्म होते ही थंब हटा दिए जाते हैं, लेकिन बीकानेर में सुनारों के मोहल्ले में करीब 15 दिन तक थंब रहता है. शीतलाष्टमी पर इस थंब का पूजन भी किया जाता है. यह परंपरा 100 सालों से अधिक समय से चली आ रही है.
माता की स्तुति गाकर होली का समापनरम्मत कलाकार पवन सोनी ने बताया कि बीकानेर शहर में होलास्टक लगने के साथ सेवग समाज के लोग होली की शुरुआत करते हैं और शीतला अष्टमी की रात को गोगागेट के पास से ब्राह्मण स्वर्णकार समाज के लोग सोनारों के मोहल्ले की गलियों में गेर के रूप में पौराणिक लोकगीत गाते हुए सोनारों की बड़ी गवाड़ के रम्मत चौक में आकर माता की स्तुति गाकर होली का समापन करते हैं.
शीतला अष्टमी को स्वांग मेहरी रम्मत का मंचनउन्होंने बताया कि शीतला अष्टमी को स्वांग मेहरी रम्मत का मंचन होता है, जिसमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक भाग लेते हैं. उस्ताद तिलोक चंद जी को नमन करते हुए स्वर्गीय हीरालाल जी की स्वांग मेहरी रम्मत सोनारों की बड़ी गवाड़ के रम्मत चौक में इस बार 21 मार्च की मध्य रात्री से शुरू होकर 22 मार्च की दोपहर 12 बजे तक चलेगी. इसमें रात को माता जी और भगवान गणेश जी के आगमन के साथ स्तुति में कई पौराणिक लोकगीत और भजन गाए जाते हैं. अखाड़े में हास्य रस से भरे अखाणों से जोशी जोशण का आगमन होता है. सुबह होते-होते गणेश वंदना ‘प्रथम निवाऊं शीश इश गुण गणपत के गाता, तुम रखो गुण्यो में मान आप सद्बुद्धि के दाता’ का सामूहिक रूप से गायन होता है.
रम्मत मंडली पर पुष्प वर्षा करती हैं महिलाएं फिर बिरह रस का गीत ‘मै बरजू बालम जी थोंने रै मत पर तिरिया से कर यारी, धन जोबन इज्जत सब लूटे अकल काढ़ लेवे सारी’ गाया जाता है जिसे ‘लावणी’ कहा जाता है. उसके बाद देश, समाज और शहर की वर्तमान हालतों पर लिखा हुआ खयाल गाते हैं. इस बार का खयाल ‘नार एक जैपर से आई मेरे शहर बिकाणे में, नैन मिले और प्यार हो गया उसको शहर घुमाने में; गाया जाता है. फिर अंतिम पड़ाव में श्रंगार रस से भरे चौमासो गीत ;मत पीहू पीहू बोल रै पपैया घर नहीं नणदल रा भईया बियोरी पल-पल याद सताए भरी जवानी रुत चौमासो ही तो बित्यो जाए’ का गायन होता है. अंत में शीतला माता की स्तुति ‘माता ए टाबरियां ने ठंड रा जौला देइजो ए’ जब गायन होता है. इस रम्मत को देखने के लिए रम्मत चौक में हजारों की संख्या में स्वर्णकार समाज के लोग एकत्रित होते हैं. घरों की छतों पर मौजूद भारी संख्या में महिलाएं रम्मत मंडली पर पुष्प वर्षा करती रहती हैं.
Location :
Bikaner,Bikaner,Rajasthan
First Published :
March 22, 2025, 20:54 IST
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100 सालों की अनोखी परंपरा, शीतला माता की पूजा के साथ होली का समापन