यहां हुआ था बाबर और राणा सांगा के बीच युद्ध, आज भी जीवित है संघर्ष के सबूत, वीरता और रणनीति का है प्रतीक
भरतपुर. भारतीय इतिहास में 17 मार्च 1527 को लड़ा गया खानवा का युद्ध एक ऐसा निर्णायक अध्याय है, जिसने भारत के भविष्य को बदलकर रख दिया. यह ऐतिहासिक युद्ध राजस्थान के भरतपुर जिले के खानवा गांव में मुगल बादशाह बाबर और मेवाड़ के वीर राजा राणा सांगा के बीच लड़ा गया था. इस महायुद्ध में बाबर ने अपनी सैन्य कुशलता और रणनीति के दम पर राणा सांगा की विशाल सेना को पराजित किया जिससे भारत में मुगल साम्राज्य की नींव और अधिक मजबूत हुई.
खानवा का युद्ध केवल एक ऐतिहासिक घटना ही नहीं बल्कि उस समय के संघर्ष के साक्ष्य आज भी इस क्षेत्र में मौजूद हैं. खानवा और उसके आसपास के इलाकों में आज भी उस युग की किलेबंदी प्राचीन तोपें और स्मारक अन्य संरचनाएं देखी जा सकती हैं. इतिहासकारों का मानना है कि इन धरोहरों में उस समय के युद्ध कला और रणनीति के बारे में गहन जानकारी छिपी हुई है. जो न केवल शोधकर्ताओं के लिए बल्कि आम जन के लिए भी रोचक है.
वीरता और रणनीति का प्रतीकइस युद्ध की वीरता और संघर्ष की कहानियां खानवा के आसपास के गांवों में लोक कथाओं के रूप में आज भी जीवित हैं स्थानीय लोग इस युद्ध को मेवाड़ की असाधारण वीरता और बाबर की दूरदर्शी सैन्य रणनीति का प्रतीक मानते हैं. इसके अलावा यहां के बुजुर्ग इस युद्ध की गाथाओं को सुनाकर युवाओं को प्रेरित करते हैं जिससे यह स्थल भारत के गौरवशाली अतीत की एक महत्वपूर्ण धरोहर बना हुआ है. खानवा का ऐतिहासिक महत्व न केवल इतिहास प्रेमियों को बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करता है.
भारत के समृद्ध अतीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सायहां आकर लोग युद्ध की रणनीतियों और उस समय की सैन्य ताकत को महसूस कर सकते हैं. इसके अलावा यहां मौजूद संरचनाएं और अवशेष यह बताने के लिए काफी हैं कि यह स्थान भारत के समृद्ध अतीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस युद्ध का स्मरण केवल मेवाड़ की वीरता को नहीं दर्शाता बल्कि बाबर की कुशल रणनीति और भारत के इतिहास में उनकी भूमिका को भी उजागर करता है. खानवा का युद्ध भारतीय इतिहास में न केवल एक महत्वपूर्ण लड़ाई है बल्कि यह स्थल आज भी इतिहास के उस गौरवमयी अध्याय का साक्षी है. बाबर और राणा सांगा के बीच हुए इस संघर्ष के साक्ष्य खानवा और उसके आसपास के क्षेत्रों में आज भी जीवित है. जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा और इतिहास की महत्वपूर्ण धरोहर है.
FIRST PUBLISHED : December 7, 2024, 13:06 IST