Rajasthan

बिना हाथों के योद्धा, जो पैरों से जीत गया ‘इंडियाज गॉट टैलेंट’ का दिल, सिद्धू को ठोकना पड़ गया सलाम

जोधपुर. राजस्थान के रेगिस्तानी शहर जोधपुर की गलियों से निकलकर एक ऐसा सितारा चमका है, जिसने न सिर्फ स्टेज पर तालियां बटोरीं, बल्कि लाखों दिलों को प्रेरणा की रोशनी से रोशन कर दिया.  रमेश विश्नोई एक 24 वर्षीय युवक, जिसके जन्म से ही दोनों हाथ नहीं हैं, ने हाल ही में ‘इंडियाज गॉट टैलेंट’ के नए सीजन में अपनी अनोखी स्किल्स से जजों और दर्शकों को हैरान कर दिया.  रमेश का वीडियो सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है. ‘इंडियाज गॉट टैलेंट’ के मंच पर बिना हाथों के पैरों की मदद से अपने एक्ट के जरिए वो सब कुछ करके दिखाया, जो आम इंसान कर सकते हैं. पैर की अंगुलियों की मदद से न सिर्फ सो कर उठने के बाद विस्तर समेटा, बल्कि माउथ वॉश भी अंगुली के सहारे ही किया. साथ ही स्नान से लेकर कपड़ा बदलने और कंघी कर दिखाया कि असल में जिंदगी कैसे जिया जाता है.

इसके अलावा अपने एक्ट के दौरन केतली से पैरों की अंगुली के सहारे कप में चाय निकालकर भी पिया. रमेश के इस एक्ट को देखकर लोगों की आंखे नम तो हो गई, लेकिन आत्मविश्वास से भी भर दिया. जज नवजोत सिंह सिद्धू ने खड़े होकर सलाम ठोका. रमेश की कलाकारी से कायल होकर सिद्धू भी खुद को रोक नहीं पाए और कहा कि “मैंने सचिन तेंदुलकर को सलाम किया था, आज तुम्हें खड़े होकर सलाम करता हूं. तुम असली हीरो हो! सिद्धू के ये शब्द स्टेज पर गूंजे और रमेश की आंखों में आंसू छलक आए. यह सिर्फ एक परफॉर्मेंस नहीं था बल्कि जिंदगी की जंग की मिसाल, जो आज लाखों युवाओं को सुसाइड के ख्यालों से दूर रख रही है. रमेश के एक्ट ने शान से लेकर मलाइका अरोड़ा तक का दिल छू लिया.

किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है रमेश की कहानी

रमेश की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. जोधपुर के एक साधारण परिवार में 2001 में उनका जन्म हुआ. जन्म के ठीक बाद डॉक्टरों ने मां-बाप को बताया कि बच्चे के दोनों हाथ नहीं हैं. यह खबर घर में काल बनकर टूट पड़ी. पड़ोसियों और रिश्तेदारों के ताने शुरू हो गए कि अरे, ये क्या औलाद पैदा कर दी? आगे चलकर ये क्या करेगा? इसे मार ही दो, बोझ न बने. मां-पिता का दिल टूट गया. पिता एक छोटे से कारोबार से गुजारा चलाते थे, मां घर संभालतीं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. मां कहती रही हमारा बेटा कमजोर नहीं, वो तो भगवान का विशेष तोहफा है. रमेश को स्कूल भेजा, जहां वो पैरों से ही नोट्स लिखना सीखे. खेलकूद के मैदान में भी पीछे नहीं हटे. बचपन में क्रिकेट खेलते हुए पड़ोस के बच्चे चिढ़ाते, लेकिन रमेश ने पैरों से बल्ला थाम लिया. धीरे-धीरे, वो लोकल मैचों में छा गए.

दुखों को बयां करना है मुश्किल

रमेश स्टेज से जजों को बताते हैं कि जन्म से दोनों हाथ नहीं थे, लेकिन मां-पापा ने कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया. आज जो कुछ भी हूं, उनके बदौलत ही हूं. मेहनत और लगन से रमेश ने न सिर्फ जिदंगी को जीना सीखा बल्कि बल्कि सोशल मीडिया पर मोटिवेशनल स्पीकर बन गए. फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उनके 1.5 मिलियन फॉलोअर्स हैं. वो खुद की आवाज में वीडियो बनाते हैं. पैरों से फोन थामकर, स्क्रिप्ट लिखकर अपलोड करते हैं. ज्यादातर वीडियो जीवन के संघर्षों पर होते हैं. “जिंदगी में हार मत मानो,” यही उनका संदेश है. रमेश इंडियाज गॉट टैलेंट के मंच से कहते हैं कि आज के 23-24 साल के युवा छोटी-छोटी बातों पर सुसाइड कर लेते हैं.  मेरा यही कहना है कि भाई, जिंदगी में हार मत मान. भगवान ने तुम्हें सब कुछ दिया है. जिंदगी एक बार मिली है, आत्महत्या मत करो. जिंदगी से लड़ना सीखो, न कि डरना. उनके एक वीडियो में, जहां वो अपनी स्टोरी शेयर करते हैं, लाखों व्यूज आते हैं. फैंस कमेंट्स में लिखते हैं भाई, तुम्हारी वजह से मैंने जहर की बोतल फेंक दी.

रमेश ने अपने परफॉर्मेंस से जीता सबका दिल

‘इंडियाज गॉट टैलेंट’ में रमेश का एंट्री तो धमाकेदार था. स्टेज पर चढ़े, तो जजों ने सोचा कि ये क्या करेगा? लेकिन पैरों की मदद वह सब कुछ दिया जो आम इंसान कर सकते हैं. परफॉर्मेंस के बाद रमेश ने माइक थामा (पैरों से ही!) और कहा, “अब लोग क्या बोलते हैं, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. जब कोई उपलब्धि हासिल करते हैं, तो हजारों खुशियां मिलती हैं. रमेश का क्लिप्स वायरल हो हो रही है.  रमेश कहते हैं मकसद पैसा नहीं, लोगों को प्रेरित करना है. रमेश जोधपुर में रहते हैं, लेकिन उनका संदेश पूरे देश तक पहुंच रहा है. वो लोकल स्कूलों में जाकर बच्चों को मोटिवेट करते हैं. मां-पिता की आंखों में आज गर्व है. रमेश युवा पीढ़ी के लिए वो लिविंग एग्जांपल हैं, जो कहते हैं, “लड़ो, हंसो, जीतो!”

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