…तो कीमत चुकानी होगी, अश्विनी चौबे इंदिरा सरकार में किस मर्डर मिस्ट्री की जांच चाहते हैं, HC केस सुनती ही भड़का

Last Updated:November 04, 2025, 16:21 IST
दिल्ली हाईकोर्ट में बीजेपी नेता अश्विनी चौबे ने याचिका लगाई है. इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री नारायण मिश्र की साल 1975 में एक बम धमाके के दौरान मौत हो गई थी. चौबे का कहना है कि नारायण मिश्र जेपी आंदोलन से जुड़ने वाले थे, जिसके चलते इंदिरा गांधी ने उनकी हत्या करवाई.
अश्चिवनी चौबे की तरफ से यह याचिका लगाई गई.
नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे की उस याचिका पर आपत्ति जताई, जिसमें इंदिरा गांधी सरकार में रेल मंत्री रहे ललित नारायण मिश्र की रहस्यमय मौत की फिर से जांच की मांग की गई. बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है. इस याचिका में उन्होंने कहा कि नारायण मिश्र की हत्या की सच्चाई कभी सामने नहीं आई. असली गुनहगारों को बचाने के लिए निर्दोषों को फँसाया गया.
जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की अदालत ने याचिका पर पूछा कि आखिर मौत के 50 साल बाद इस तरह की याचिका क्यों लगाई जा रही है. कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ऐसा थोड़ी होता है कि आप 50 साल बाद जागेंगे और अदालत में आकर अर्जी लगा देंगे. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर तय करते हुए कड़े शब्दों में कहा कि अगर अश्विनी चौबे कोर्ट में अपनी बात साबित नहीं कर सके तो इसके लिए उन्हें आसाधारण कीमत चुकानी होगी.
धमाके में गई थी नारायण मिश्र की जान2 जनवरी 1975 को बिहार के समस्तीपुर में एक रेलवे परियोजना का उद्घाटन चल रहा था. भीड़ में अचानक धमाका हुआ और कांग्रेस के तेजतर्रार नेता ललित नारायण मिश्र की जान चली गई. तब सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली और कुछ ही सालों में उंगलियां आनंद मार्ग संगठन के चार सदस्यों पर उठीं. दशकों बाद 2014 में उन्हें दोषी भी ठहराया गया. मामला खत्म हुआ-सा लगा लेकिन चौबे के मुताबिक यह तो बस कहानी का आधा हिस्सा था.
क्यों दोबारा जांच चाहते हैं चौबे?चौबे का दावा है कि ललित बाबू एक बड़े राजनीतिक साजिश का शिकार बने क्योंकि वह जेपी आंदोलन के समर्थन में उतरने वाले थे और यह बात तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार को नागवार थी. अपनी याचिका में चौबे ने 1978 की बिहार सीआईडी रिपोर्ट, न्यायविद वीएम तारकुंडे की जांच और द इंडियन एक्सप्रेस की उस दौर की रिपोर्टों का हवाला दिया है. उनका कहना है कि सीबीआई ने जांच की दिशा मोड़ दी ताकि दिल्ली की सत्ता के करीब बैठे कुछ लोगों को बचाया जा सके.
Sandeep Gupta
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें
First Published :
November 04, 2025, 16:01 IST
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इंदिरा सरकार में 50 साल पुराने मर्डर केस की जांच चाहते हैं चौबे, HC भड़का
 


