इस गार्डन में है 80 से ज्यादा प्रजाति के कैक्टस, देखने के लिए झूमती है लोगों की भीड़
निशा राठौड़/ उदयपुर: सुनने में थोड़ा अजीब जरूर है लेकिन कई लोग ऐसे होते है जिन्हे फूलों से ज्यादा काटे पसन्द होते है. ऐसे ही लोगों के लिए उदयपुर शहर के करीब केवड़ा की नाल में बना केक्ट्स गार्डन बनाया गया है. सलूंबर जिले के केवड़ा की नाल में विकसित किए जा रहे बॉटनिकल गार्डन में आज कैक्टस गार्डन का शुभारंभ किया गया है.
सराड़ा वन रेंज के केवड़ा की नाल वन खंड में विकसित किए जा रहे इस गार्डन को लेकर सांसद डॉ. रावत ने कहा- बॉटनिकल गार्डन और कैक्टस गार्डन अरावली की जैव विविधता को बचाए रखने के लिए कारगर सिद्ध होंगे. यहां जनजाति समाज के गौत्र के पेड़ लगाकर स्थानीय जनजातिजनों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. 9 स्थानीय प्रजाति के पेड़ों को संरक्षित करने और इससे ग्रामीणों को जोड़ने की अच्छी पहल है. अरावली अंचल में वन संरक्षण-संवर्धन के लिए विभाग की ओर से जो भी कार्य योजना तैयार की जाएगी, उसे मूर्त रूप देने के लिए पुरजोर प्रयास किए जाएंगे
80 से अधिक प्रजाति के कैक्टसउप वन संरक्षक मुकेश सैनी ने बताया, कैक्टस गार्डन में 80 अलग -अलग प्रजातियों के कैक्टस लगाए गए हैं, जो शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के लिए बहुपयोगी साबित होंगे. उन्होंने बॉटनिकल गार्डन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बजट घोषणा के तहत केवड़ा की नाल वन क्षेत्र के 70 हैक्टेयर एरिया मे बॉटनिकल गार्डन विकसित किया जा रहा है. इसके तहत दीवार निर्माण, वाच टावर, ट्रेल, चौकडेम, केक्टस गार्डन, पाथवे के निर्माण हो चुके है. इसमें 150 प्रजाति के वृक्ष जिसमें अरावली वन क्षेत्रों में पाये जाने वाले वृक्ष शामिल हैं. वहीं कुछ वृक्ष ऐसे भी है जो अरावली वन क्षेत्र से प्रायः विलुप्त हैं. इसमें 55 प्रजाति के झाडीनुमा पौधे, लगभग 60 प्रजाति के हर्ब, 40 प्रजाति की लताए एवं 12 प्रजाति की (मिलेट्स) मोटे अनाज के पौधे रोपित किये गये हैं. प्रत्येक वृक्ष की पहचान के लिए साइन बोर्ड लगाए गए है, जिस पर क्यूआर कोड लगाया जा रहा है. क्यूआर कोड को स्कैन करके कोई भी वृक्ष की प्रजाति से संबंधित जानकारी ले सकता है.
चट्टानें और खनिज भी होंगे प्रदर्शितसैनी ने बताया, गार्डन में अरावली पहाड़ियों में पाए जाने वाले चट्टानों एवं खनिजों को भी प्रदर्शित किया जाएगा. इसके लिए आरएसएमएम हिन्दुस्तान जिंक व जिले के प्रतिष्ठित खनिज मालिकों का सहयोग लिया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : August 26, 2024, 16:57 IST