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पूरी रात जलने वाली स्ट्रीट लाइट से बड़ा खतरा, गड़बड़ा रहा है अर्बन फूड चेन, स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा

नई दिल्ली. पूरी रात चलने वाली आर्टिफिशियल लाइट, जैसे कि स्ट्रीट लाइट, पत्तियों को इतना सख्त बना सकती है कि कीड़े उन्हें नहीं खा सकते हैं, जिससे शहरी खाद्य श्रृंखलाओं (अर्बन फूड चेन) को खतरा हो सकता है. एक स्टडी में यह बात निकलकर सामने आई है.

‘रात में आर्टिफिशियल लाइट, विशिष्ट शहरी क्षेत्रों में पत्ती की जड़ी-बूटियों को कम करता है’ स्टडी को इस महीने की शुरुआत में ‘फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया था. यह विश्लेषण यूनिवर्सिटी ऑफ चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (बीजिंग) के यू काओ, शुआंग झांग और के-मिंग मा द्वारा किया गया है.

स्टडी कैसे की गई?शोधकर्ता यह जांचना चाहते थे कि आर्टिफिशियल लाइट पौधों और कीड़ों के बीच संबंधों को कैसे प्रभावित करती है. ऐसा करने के लिए, उन्होंने बीजिंग में सड़क के पेड़ों की दो सामान्य प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित किया: जापानी पैगोडा और हरे राख के पेड़. हालांकि ये पेड़ कई मायनों में समान हैं, जापानी पैगोडा पेड़ों में छोटे, नरम पत्ते होते हैं, जिन्हें कीड़े खाना पसंद करते हैं.

शोधकर्ताओं ने मुख्य सड़कों पर सैम्पल के लिए 30 ऐसे स्थान चुने जो आमतौर पर पूरी रात स्ट्रीट लाइट से जगमगाते हैं. फिर उन्होंने प्रत्येक स्थान पर रोशनी – प्रकाश की मात्रा – मापी और आकार, कठोरता, पानी की मात्रा और पोषक तत्वों और रासायनिक रक्षा यौगिकों के स्तर जैसे उनके गुणों पर प्रकाश के असर का मूल्यांकन करने के लिए लगभग 5,500 पत्तियां जमा कीं.

यदि पत्तियाँ बड़ी होतीं, तो इसका मतलब होता कि पौधों ने अपने संसाधनों (जैसे पोषक तत्व, पानी और ऊर्जा) की मदद से खुद को विकसित होने दिया. यदि पत्तियां सख्त होतीं और उनमें टैनिन जैसे उच्च स्तर के रासायनिक रक्षा यौगिक होते, तो यह संकेत होता कि संसाधन रक्षा के लिए बांटे गए थे.

रिसर्च का नतीजा क्या निकला?शोधकर्ताओं ने देखा कि पेड़ों की दोनों प्रजातियों के लिए, रोशनी का स्तर जितना अधिक होगा, पत्तियां उतनी ही सख्त होंगी. पत्तियां जितनी सख्त होंगी, कीड़ों द्वारा उन्हें खाने के सुबूत उतने ही कम होंगे. शोधकर्ताओं को उन क्षेत्रों में पत्तियों को कुतरने वाले कीड़ों का कोई निशान नहीं मिला, जहां रात में सबसे अधिक रोशनी होती थी.

Tags: Science

FIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 21:23 IST

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