केले के पत्ते पर बनी पेंटिंग की जयपुर में जबरदस्त डिमांड, देखें पट्टचित्र कला की खास झलक

Last Updated:December 22, 2025, 19:53 IST
Art painted on a Banana leaves : जयपुर की कला नगरी में इन दिनों देशभर की पारंपरिक कलाओं का रंग बिखरा हुआ है. जवाहर कला केंद्र में उड़ीसा की प्राचीन पट्टचित्र चित्रकला खास आकर्षण बनी हुई है, जहां केले के पत्तों पर बनी पेंटिंग्स लोगों को अपनी ओर खींच रही हैं. धार्मिक और पौराणिक विषयों से सजी ये दुर्लभ कलाकृतियां हजारों रुपये में बिक रही हैं.
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जयपुर: जयपुर कला संस्कृति से जुड़ा हुआ प्राचीन शहर है जहां आज भी लोग मूर्तिकला, पेंटिंग कला, संगीत कला जैसी कलाओं को बढा़वा मिलता है और भारत की खास कलाओं को खूब पंसद करते हैं. ऐसे ही जयपुर में पूरे सालभर पेंटिंग्स की खूब डिमांड रहती इसलिए यहां की कला के अलावा भी पूरे भारत से कलाकार अपने स्थानीय कला की पेंटिंग को लेकर यहां आते हैं जिनकी लोगों में खूब डिमांड रहती हैं, ऐसे ही अभी जयपुर के जवाहर कला केंद्र में अलग-अलग राज्यों से पेंटिंग और मिनिएचर आर्टिस्ट अपनी खास पेंटिंग लेकर पहुंचे हैं.
Local 18 ने उड़ीसा भूवनेश्वर से आए आर्टिस्ट बोमन अली से उनकी खास पट्टचित्र चित्रकला शैली की पेंटिंग के बारे में बात करी, तो वह बताते हैं कि यह पेंटिंग उड़ीसा की प्राचीन पारंपरिक कला की खास पेंटिंग हैं, जो खासतौर पर केले के पत्ते पर बनाई जाती हैं, जिसमें सबसे ज्यादा धार्मिक और पौराणिक विषयों को दर्शाया जाता है जो खासतौर पर रामायण, महाभारत सहित भारत के प्राचीन ग्रंथों की तरह इसमें केले के पत्तों का उपयोग किया जाता है. क्योंकि प्राचीन समय में भी लेखन और पेंटिंग के लिए सबसे ज्यादा केले के पत्तों का ही उपयोग किया जाता था, इसलिए यह पेंटिंग कला भारत की सबसे प्राचीन पेंटिंग कलाओं में से एक है. बोमन बताते हैं की उड़िसा की खास पट्टचित्र चित्रकला एक जटिल और विस्तृत कला है जिसमें जिसमें खासतौर पर भगवान जगन्नाथ, राधा-कृष्ण, और अन्य देवी-देवताओं की छवियों के साथ साथ रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों के वर्णनों को पेंटिंग के माध्यम से दर्शाया जाता है.
कैसे तैयार होती हैं खास पट्टचित्र की यह पेंटिंगकेले के पत्तों का उपयोग ख़ासतौर पर दक्षिण भारत में सजावट और भोजन परोसने के लिए किया जाता है, साथ ही केले के पेड़ के अलग-अलग हिस्से से कई चीजें तैयार होती हैं उन्हीं में से एक केले के पत्तों से खास पेंटिंग जिसकी उड़िसा में पेंटिंग बनाने की विशिष्ट परंपरा वर्षों से चली आ रही है. आज भी उड़िसा की वर्षो पुरानी पट्टचित्र चित्रकला को लोग खूब पंसद करते हैं इसलिए उड़िसा में इस कला के कलाकार लगातार पेंटिंग बनाते हैं जिनकी डिमांड दुनियाभर में रहती है. बोमन बताते हैं की केले के पत्ते की परत बेहद नाज़ुक और पतली होती है इसलिए उन पर पेंटिंग बनाना काफी मुश्किल होता है. केले के पत्ते पर इस खास पेंटिंग को बनाने के लिए बिल्कुल बारिक तरिके से हाथों से हैंड विवीग की जाती है, साथ ही केले के पत्तों को फोल्ड किया जाता है जिसके साथ पेंटिंग भी फोल्ड होती है इस प्रकार इस खास पेंटिंग में तैयार होने वाली बड़ी से बड़ी पेंटिंग को भी को भी बिल्कुल छोटे रूप में फोल्ड किया जा सकता है. इसलिए लोग इस कला की पेंटिंग को खूब पंसद करते हैं और खरीदते हैं.
हजारों रूपए तक होती है पट्टचित्र चित्रकला की पेंटिंग की कीमतआपको बता दें उड़िसा की खास पट्टचित्र चित्रकला की पेंटिंग छोटे से लेकर बड़े आकार तक बनती है, जिन्हें लोग अपने घरों में सुंदर सजावट के लिए खरीदते हैं, बोमन बताते हैं की उड़िसा की इस खास पेंटिंग की कीमत सामान्य रूप से 500 रूपए से शुरू होती है और हजारों रूपए तक जाती है, अभी जयपुर में वह 62 हजार की पेंटिंग लेकर आए हैं. लेकिन लोग सामान्य रूप से घरों में सजावट के लिए 5 से 10 हजार तक की ही पेंटिंग खरीदते हैं ज्यादा महंगी पेंटिंग सिर्फ VIP लोगों के लिए स्पेशल ऑडर के हिसाब से तैयार की जाती हैं. फेयर में लोगों के लिए छोटे से लेकर बड़े आकार की पेंटिंग उपलब्ध हैं जिन्हें लोग अपनी पंसद और बजट के हिसाब से खरीद सकते हैं, बोमन बताते हैं जयपुर में भारत के अलग-अलग राज्यों की पेंटिंग की खूब डिमांड रहती है इसलिए वह भी लगातार जयपुर आते रहते हैं और लोग उनकी पेंटिंग को खूब पंसद करते हैं और खरीदते भी हैं.
About the AuthorRupesh Kumar Jaiswal
A Delhi University graduate with a postgraduate Diploma in Journalism and Mass Communication, I work as a Content Editor with the Rajasthan team at India Digital. I’m driven by the idea of turning raw in…और पढ़ें
Location :
Jaipur,Rajasthan
First Published :
December 22, 2025, 19:53 IST
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केले के पत्तों पर ऐसे तैयार होती हैं खास पेंटिंग, कीमत हजारों में



