राजस्थान में नारियल गणेश की भारी डिमांड, दूर-दूर से पहुंच कर लोग कर रहे खरीदारी, जानें क्यों
राजस्थान में गणेश चतुर्थी के पर्व को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. बाजारों में विभिन्न प्रकार की इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएँ बिक रही हैं. लोग इन्हें खरीदने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. खासतौर पर नारियल के छिलकों से बनी गणेश प्रतिमाओं की मांग बढ़ गई है. यह मूर्तियाँ न केवल सुंदर हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी हैं.
कोकोपीट से बनी मूर्तियों की विशेषता
कोकोपीट नारियल के छिलकों से बनी मिट्टी होती है. जिसे शादु मिट्टी के साथ मिलाकर गणेश प्रतिमाएँ बनाई जाती हैं. इन मूर्तियों के लिए प्राकृतिक रंग जैसे हल्दी, कुंकू, और मुल्तानी मिट्टी का उपयोग किया जाता है ताकि विसर्जन के बाद यह मिट्टी पेड़ों के लिए उर्वरक के रूप में काम आ सके.
मूर्तिकार शंकर इन मूर्तियों को तैयार करते हैं. उनके तैयार किए गए इन मूर्तियों को पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है. जिससे विसर्जन के बाद पानी या मिट्टी में कोई हानिकारक तत्व न मिलें.
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मूर्तियों का लाभ
इन मूर्तियों का एक और फायदा यह है कि विसर्जन के 3 से 4 घंटे के भीतर ये पूरी तरह से पानी में घुल जाती हैं. इसके बाद बची हुई मिट्टी को पेड़ों के लिए उर्वरक के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जिससे पौधों को पौष्टिक खाद मिलती है. गीले फूलों या हल्के पानी से भी इन मूर्तियों को कोई नुकसान नहीं होता, क्योंकि इन्हें अच्छी तरह से सुखाया जाता है ताकि यह टिकाऊ रहें.
इको-फ्रेंडली गणेशोत्सव
अगर आप इस साल इको-फ्रेंडली गणेशोत्सव मनाना चाहते हैं, तो आप नारियल से बनी गणेश प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं. यह न केवल आपके पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान देगा, बल्कि आपके पौधों को भी पौष्टिक खाद्य मिल जाएगी, जिससे आप प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 6, 2024, 11:32 IST