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गणगौर पर्व: गणगौर को लेकर भीलवाड़ा के बाजार में इन खास प्रतिमाओं की हो रही भारी डिमांड, महादेव और माता पार्वती की होगी खास पूजा

Last Updated:March 23, 2025, 21:12 IST

गणगौर पर्व: गणगौर का त्योहार होली के बाद से ही मनाया जाता है, जो 18 दिन तक चलता है. हर घर में नवविवाहित और कुंवारी कन्याएं बड़ी धूमधाम से इस त्योहार को मनाती हैं. इसमें गणगौर और ईसर के रूप में भगवान शिव और माता…और पढ़ेंX
बाजार
बाजार में आई खास तरह की गणगौर ईश्वर की प्रतिमा

हाइलाइट्स

भीलवाड़ा में गणगौर की प्रतिमाओं की भारी डिमांड18 दिनों तक चलता है गणगौर का त्योहारगणगौर पर्व पर शिव-पार्वती की होती है पूजा

भीलवाड़ा. गणगौर का महापर्व राजस्थान की संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह पर्व महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. गणगौर का त्योहार हर महिला को पूरे साल भर इंतजार रहता है, खासकर नवविवाहित और कुंवारी कन्याएं इसे बड़े उत्साह के साथ मनाती हैं. होली के बाद से ही गणगौर का त्योहार शुरू हो जाता है, जो 18 दिनों तक चलता है.

शिव-पार्वती के स्वरूप ईसर और गणगौर की आराधनाभीलवाड़ा शहर के मुख्य चौराहों और सड़कों पर गणगौर और ईसर की प्रतिमाएं सज चुकी हैं. बाजार में दुकानों पर भी गणगौर को लेकर खरीददारी तेज हो गई है. सुबह के समय युवतियां और महिलाएं गणगौर की पूजा कर रही हैं. गणगौर के पर्व पर शिव-पार्वती के स्वरूप ईसर और गणगौर की आराधना की जाती है. बाजार में इस बार विभिन्न तरह के साज-श्रृंगार के साथ छोटी-बड़ी प्रतिमाओं की खूब डिमांड हो रही है. भीलवाड़ा में मिट्टी की गणगौर से लेकर विभिन्न वेराइटी की गणगौर मिल रही हैं, जो खासतौर पर बीकानेर और जयपुर से आई हैं.

18 दिन तक चलता है गणगौर का त्योहारव्यापारी कृष्णकांत शर्मा ने कहा कि गणगौर का त्योहार होली के बाद से ही मनाया जाता है, जो 18 दिन तक चलता है. हर घर में नवविवाहित और कुंवारी कन्याएं बड़ी धूमधाम से इस त्योहार को मनाती हैं. इसमें गणगौर और ईसर के रूप में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना और आराधना की जाती है. इसको देखते हुए बाजार में इस बार विभिन्न तरह की गणगौर और ईसर की प्रतिमाएं आई हुई हैं. इस बार विशेष तौर पर साज-श्रृंगार की गणगौर और ईसर प्रतिमाएं बाजार में आई हैं, जो बीकानेर और जयपुर से आई हैं और इनकी बहुत डिमांड हो रही है. भीलवाड़ा में विशेष तौर पर इस तरह की गणगौर की ज्यादा डिमांड हो रही है, जो असलियत की तरह ज्वेलरी और चुन्नर ओढ़ती हैं. इस बार मार्केट में खास तौर पर 100 रुपए से लेकर 2 हजार तक की प्रतिमाओं की बिक्री हो रही है. गणगौर के त्योहार को लेकर सुहागिन और कुंवारी कन्याओं में ज्यादा उत्साह रहता है.

गणगौर के पर्व के पीछे कहानीनगर व्यास पंडित कमलेश व्यास ने बताया कि माता पार्वती होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं और 18 दिनों के बाद भगवान शिव उन्हें फिर लेने के लिए आते हैं और चैत्र शुक्ल तृतीया को उनकी विदाई होती है. इस कारण यह त्योहार शिव और पार्वती के मिलन का प्रतीक है और यह वैवाहिक सुख, अखंड सौभाग्य और परिवार में सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है.


Location :

Bhilwara,Bhilwara,Rajasthan

First Published :

March 23, 2025, 21:12 IST

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गणगौर पर महादेव और माता पार्वती के स्वरूप ईश्वर गणगौर की पूजा

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