चॉकलेट नहीं, ये रंग बिरंगी चकरी है बच्चों की असली खुशी…करौली की गलियों में लकड़ी के बांस पर सजती है ये मिठाई

Last Updated:November 19, 2025, 23:15 IST
करौली की गलियों में आज भी बच्चों की सबसे प्यारी मिठाई वही है—बांस की छड़ी पर लिपटी, रंग-बिरंगी आकृतियों वाली देसी मिठाई. ₹5 से लेकर ₹50 तक, ये जादुई मिठाई सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि बचपन की यादें और कल्पनाओं का मज़ा भी देती है.
नन्हे बच्चों से लेकर बड़े लोग भी इस मिठाई के दीवाने हैं. करौली की गलियों में आपने जरूर बांस की छड़ी पर लिपटी, रंग-बिरंगी आकृतियों वाली इस मिठाई को देखा होगा. यह साधारण मिठाई नहीं है, बल्कि बच्चों की कल्पनाओं का स्वाद है.

30 साल से इस मिठाई को बेच रहे वीरपाल बताते हैं कि बच्चा जो भी खिलौना बोलता है—मोड़, बिच्छू, सांप, सॉफ्टी, त्रिशूल, ताजमहल, लालकिला, शक्तिमान—वे वहीं खड़े-खड़े उसी आकृति में मिठाई पिघला कर बना देते हैं. यही वजह है कि यह मिठाई एक साधारण मिठाई कम और बच्चों का जादुई खिलौना ज्यादा लगती है.

करौली में आज भी गलियों और मोहल्लों में मिठाई बेचने वाले वीरपाल का कहना है कि बाजार की चॉकलेट्स के मुकाबले यह मिठाई ज्यादा शुद्ध और कम हानिकारक होती है.
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यह मिठाई सिर्फ पैदल बेची जाती है, ठीक वैसे ही जैसे 20–30 साल पहले बेची जाती थी. डमरू की टक-टक सुनते ही बच्चे घरों से दौड़ पड़ते हैं, और यही दृश्य इस मिठाई को आज भी खास बनाता है.

भले ही समय बदल गया हो, लेकिन इस मिठाई का जलवा करौली में आज भी उतना ही बरकरार है. कई बार तो बड़े लोग भी इस मिठाई को खाकर बचपन की याद में डूब जाते हैं. इसकी लोकप्रियता पर आज भी समय का कोई असर नहीं पड़ा है.
First Published :
November 19, 2025, 23:14 IST
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करौली की गलियों में मिलने वाली देसी मिठाई है बच्चों की पसंदीदा चॉइस



