आपके खुश रहने के लिए जरूरी है ये फील गुड हॉर्मोन, शरीर में इसकी कमी से दिखते हैं ये लक्षण, जानें ये क्या है?

What is Dopamine: खुश रहना बहुत जरूरी है. खुश (Happy) रहने से आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्ट्रेस फ्री और हेल्दी बने रहते हैं. तनाव आपके चेहरे पर नहीं नजर आता है. हर किसी के लिए खुश रहना जरूरी है. खुश रहने के लिए जिम्मेदार होता है डोपामाइन. डोपामाइन को ‘फील गुड हार्मोन’ भी कहा जाता है. क्या आप जानते हैं क्या है ये डोपामाइन, इससे कैसे आप खुश रह सकते हैं? चलिए जानते हैं यहां विस्तार से…
क्या है डोपामाइन? (What is Dopamine)
डोपामाइन एक तरह का न्यूरोट्रांसमीटर है, जो मस्तिष्क, शरीर,और हमारे व्यवहार को कंट्रोल करता है. दरअसल, ये डोपामाइन मुख्य रूप से मस्तिष्क के रिवॉर्ड सेंटर और प्लेजर सेंटर से जुड़ा होता है. जब भी आपके साथ कुछ अच्छा होता है, आपको कई गिफ्ट या पुरस्कार मिलता है तो डोपामिन का रिसाव होता है. इसके जरिए हम खुशी का अनुभव कर पाते हैं. डोपामाइन न सिर्फ नींद और पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है, बल्कि हमारे इमोशनल हेल्थ (भावनात्मक स्वास्थ्य) का भी बेहद ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. आप अपनी लाइफ में जब-जब बेहद खुश हुए हों, अच्छा महसूस करते हैं तो उसके पीछे डोपामाइन का ही हाथ है.
डोपामाइन की मात्रा शरीर में बिगड़ना ठीक नहीं
डोपामाइन बेशक आपको खुश रखने के लिए जिम्मेदार है, लेकिन शरीर में इसकी सही मात्रा न हो तो ये बॉडी के लिए ठीक नहीं. इसका बैलेंस बिगड़ जाए तो यह शरीर के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है. हालांकि, डोपामाइन पर किसी तरह का कोई शोध नहीं किया गया है. यह एडीएचडी, डिप्रेशन, नींद की कमी, स्ट्रेस, चिंता को कम करता है.
डोपामाइन के लाभ पाने के लिए करें ये उपाय
यदि आप डोपामाइन से लाभ लेना चाहते हैं तो वैसे काम करिए जिसे करके आपको खुशी और संतुष्टि महसूस हो. खुशी प्राप्त हो. दोस्तों से बात करें, घूमने जाएं. इसके अलावा, किसी ऐसी गतिविधि में शामिल हों, जिसे करने के बाद आपको बेहतर महसूस हो.
साइकोलॉजिस्ट एंड एजुकेटर डॉ. प्रिया भटनागर कहती हैं कि डोपामाइन मानसिक स्वास्थ्य के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह संज्ञानात्मक कार्यों (Cognitive functions), सोचने और आनंद लेने के बारे में है. इन सभी चीजों में डोपामाइन की मजबूत भूमिका होती है. डोपामाइन असंतुलन हो जाए तो आपको कई तरह के मानसिक डिसऑर्डर हो सकते हैं. इसमें स्किजोफ्रेनिया, एटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर जैसी डिजीज शामिल हैं. ये एक तरह के न्यूरो डेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जो मेडिटेशन, कंट्रोल और गतिविधि को प्रभावित करता है.
डोपामाइन का लेवल हाई होने पर क्या होता है?
डॉ. प्रिया भटनागर आगे कहती हैं, जब शरीर में डोपामाइन का लेवल हाई हो जाता है, तो इसके कारण इम्पल्स कंट्रोल, समस्या समाधान में कठिनाई, जल्दबाजी में निर्णय लेना जैसी समस्याएं हो सकती हैं. वहीं, जब डोपामाइन का लेवल कम हो जाता है, तो इससे थकान, आलस और खुशी महसूस करने में कमी होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
डोपामाइन एक ऐसा न्यूरोट्रांसमीटर है, जो हमारे रिवॉर्ड, आनंद, सोचने, योजना बनाने, समन्वय, गति और संज्ञानात्मक क्षमताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसका हमारे संपूर्ण व्यवहार पर गहरा प्रभाव पड़ता है. यह वही रसायन है जो हमें हर चीज से खुशी दिलाता है. हमारी रुचियों को परिभाषित करता है, इसलिए, हमारे शरीर में डोपामाइन का एक संतुलित स्तर होना, मस्तिष्क तक इसका पहुंचना और मस्तिष्क और शरीर के बीच सही संबंध बनाना बेहद महत्वपूर्ण है.
इनपुट:आईएएनएस
Tags: Health, Mental diseases
FIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 21:51 IST