कमाल हैं ये शिक्षक,1100 से ज्यादा बच्चों को बाल मजदूरी से कराया मुक्त, समाज के लिए बने आदर्श
उदयपुर: उदयपुर के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय रेलवे ट्रेनिंग स्कूल के शिक्षक दुर्गाराम महुआ ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देते हुए 1100 से अधिक बच्चों को बाल तस्करी के दलदल से मुक्त कर, उन्हें शिक्षा से जोड़ने का अनूठा कार्य किया है. इनमें से 250 से अधिक लड़कियां भी शामिल हैं. दुर्गाराम महुआ का यह प्रयास न केवल बच्चों को एक नई दिशा देने वाला साबित हुआ है, बल्कि उन्होंने बच्चों के गार्जियन बनकर उनके जीवन को संवारने का भी बीड़ा उठाया है.
दुर्गाराम महुआ की पोस्टिंग जब उदयपुर के आदिवासी क्षेत्र में हुई, तब उन्होंने मानव तस्करी की भयावहता को करीब से देखा. इसके बाद उन्होंने बच्चों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाने का अभियान शुरू किया. उनके इस प्रयास से गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और राजस्थान के विभिन्न जिलों से कई बच्चों को मुक्त करवाया गया.
संरक्षक बनकर उठा रहे बच्चों का खर्चदुर्गाराम महुआ न केवल बच्चों को तस्करी से मुक्त करवा रहे हैं, बल्कि उनकी शिक्षा, स्टेशनरी, और कपड़ों का खर्च भी खुद उठा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सालभर में उनकी 2 से 3 महीने की सैलरी इन बच्चों की जरूरतों को पूरा करने में खर्च हो जाती है.
उदयपुर में आदिवासी बच्चों से करवाई जाती है मजदूरीउदयपुर की खूबसूरती के पीछे छिपे काले सच का सामना करने वाले दुर्गाराम ने नागौर जिले से आकर उदयपुर के आदिवासी बच्चों को बालश्रम से मुक्त कराने का जिम्मा उठाया. यहां के बच्चे, जिन्हें तस्कर गुजरात ले जाकर मजदूरी करवाते थे, उन्हें दुर्गाराम ने शिक्षा से जोड़कर उनकी जिंदगी को संवारने का प्रयास किया.
राष्ट्रपति शिक्षक सम्मान से हुए सम्मानितदुर्गाराम महुआ की इस सेवा और समर्पण के लिए उन्हें 2022 में राष्ट्रपति शिक्षक सम्मान से नवाजा गया. उनका यह योगदान न केवल उनके छात्रों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है.उदयपुर के शिक्षक दुर्गाराम महुआ ने जिस तरह से बच्चों को बचाने और शिक्षित करने का कार्य किया है, वह निस्संदेह प्रेरणादायक है.
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FIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 16:39 IST