राजस्थान की सबसे ऊंची चोटी पर है ये प्राचीन गुफा, यहां की खूबसूरती देखकर हो जाएंगे मंत्रमुग्ध
दर्शन शर्मा/सिरोही : राजस्थान और प्राचीनतम पर्वतमालाओं में से एक अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी गुरुशिखर है. आज हम आपको अरावली की वादियों में समुद्रतल से 1722 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुरुशिखर के प्रसिद्ध स्थानों के बारे में बताने जा रहे हैं. अगर आप माउंट आबू घूमने आ रहे हैं, तो यहां से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित गुरुशिखर आना ना भूलें. गुरुशिखर का ये नाम गुरु का शिखर से हुआ है, जो गुरु दत्तात्रेय के नाम पर पड़ा. त्रिदेव के स्वरूप में पूजनीय भगवान दत्तात्रेय, महर्षि अत्रि और अनुसूया के पुत्र थे. महर्षि अत्रि सप्तऋषियों में से एक है और माता अनुसूया को सतीत्व के प्रतिमान के रूप में माना गया है.
भगवान गुरु दत्तात्रेय इसी चोटी पर निवास करते थे. यहां प्रभु दत्तात्रेय ने तप किया था. वर्तमान में गुरुशिखर पर दत्तात्रेय गुफा में प्राचीन मंदिर बना हुआ है. जहां हर वर्ष हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं. मंदिर में भगवान दत्तात्रेय की चरण पादुकाएं है. मंदिर में गुरु दत्तात्रेय की प्रतिमा के आगे शिवलिंग की भी पूजा होती है. यहां मौजूद गुफा में भगवान दत्तात्रेय ने तप किया था.
मंदिर के पास एक विशाल घंटी लगी हुई हैभगवान के त्रिशूल की भी यहां पूजा होती है. अनुसूया मंदिर व प्राचीन घंटो दत्तात्रेय मंदिर से कुछ सीढियां ऊपर दत्तात्रेय की मां अनुसूया मंदिर बना हुआ है. यह गुरुशिखर चोटी का सबसे ऊपरी स्थान है. यहां से पूरी अरावली पर्वत श्रृंखला का नजारा दिखाई देता है. यह दृश्य भी मंत्रमुग्ध कर देने वाला हैं. यहां दूरबीन से नजारें देखने की सुविधा भी उपलब्ध है. इस मंदिर के पास ही एक विशाल घंटी भी लगी हुई है.
यहां पर एक वेधशाला बनी हुई हैजिस पर प्राचीन भाषा में जानकारी लिखी हुई है. किंवदंती के अनुसार दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक राजा पृथ्वीराज चौहान ने अपनी दुल्हन से मिलने और उनके साथ विवाह करने के लिए इस चोटी की यात्रा की थी. वेधशाला में आकाशीय खगोलीय घटना पर होता है रिसर्च गुरु शिखर में इस मंदिर के अलावा स्वदेशी रूप से डिजाइन व विकसित की गई वेधशाला स्थापित है.
FIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 12:48 IST