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बाड़मेर की इस कला ने बदल दी हजारों महिलाओं की जिंदगी, घर बैठे कमाई और वैश्विक पहचान

Last Updated:December 22, 2025, 18:53 IST

Barmer News : बाड़मेर की पारंपरिक हस्तकला ने हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है. सुई-धागे की बारीकी से बनी यह कारीगरी अब जापान, अमेरिका, लंदन और यूरोप तक प्रसिद्ध है. रेगिस्तान की तपती रेत के बीच सुई-धागे से बुनी जा रही पारंपरिक हस्तकला आज बाड़मेर की हजारों महिलाओं के लिए उम्मीद, सम्मान और रोजगार का मजबूत सहारा बन चुकी है.

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बाड़मेर. सरहद के उस पार से आई पारंपरिक हस्तकला आज बाड़मेर जिले की हजारों महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की मजबूत डोर बन चुकी है. सुई-धागे से किया जाने वाला यह बारीक और महीन काम इस कारीगरी की सबसे बड़ी पहचान है, जिसके हर टांके में कला की झलक दिखाई देती है. इस कला ने ना केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारी है बल्कि उनकी सामाजिक पहचान को भी मजबूती दी है.

रेगिस्तान की तपती रेत के बीच सुई-धागे से बुनी जा रही पारंपरिक हस्तकला आज बाड़मेर की हजारों महिलाओं के लिए उम्मीद, सम्मान और रोजगार का मजबूत सहारा बन चुकी है. कपड़ों, बैग, वॉल हैंगिंग, कुशन कवर और सजावटी वस्तुओं पर उकेरे जाने वाले जटिल डिज़ाइन हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. यह कला ग्रामीण महिलाओं को घर बैठे आर्थिक रूप से सक्षम बनाने में मदद कर रही है.

महिलाओं की आर्थिक शक्ति और आत्मविश्वासबाड़मेर के सीमावर्ती गांवों की महिलाएं नियमित काम मिलने से न केवल आय अर्जित कर रही हैं बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है. कई परिवारों में महिलाएं ही घर की आर्थिक रीढ़ बन चुकी हैं. अणसी के अनुसार पहले महिलाएं केवल घरेलू काम में ही उलझी रहती थीं, लेकिन हस्तकला की बढ़ती मांग ने उन्हें बेहतर रोजगार और सम्मान दिया है.

सुई-धागे की बारीकी और कला की खूबसूरतीइस हस्तकला की सबसे बड़ी खासियत सुई-धागे से किया जाने वाला बारीक और महीन काम है, जो देखने वाले को तुरंत आकर्षित कर लेता है. यही वजह है कि अब इस कढ़ाई की मांग देश में ही नहीं, बल्कि विदेशी बाजारों में भी तेजी से बढ़ रही है. बाड़मेर शहर की सविना हस्तकला की अनिता बताती हैं कि उनके हाथों का हुनर विदेशों में भी सराहा जा रहा है.

विदेशों में बाड़मेर हस्तकला की डिमांडबाड़मेर की महिलाएं कशीदाकारी के माध्यम से घर बैठे अच्छी कमाई कर रही हैं. कपड़ों, दुपट्टों, बैग्स और होम डेकोर आइटम्स पर उकेरे गए पारंपरिक डिज़ाइन आधुनिक फैशन के साथ ऐसा संगम रचते हैं जो इस कारीगरी को विशेष बनाता है. गुड्डी के अनुसार, बाड़मेर हस्तकला की मांग जापान, अमेरिका, लंदन और यूरोप में भी खूब रहती है. यह साबित करता है कि स्थानीय कला ने वैश्विक पहचान भी हासिल कर ली है.

About the AuthorAnand Pandey

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें

Location :

Barmer,Rajasthan

First Published :

December 22, 2025, 18:53 IST

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घर बैठे कमाई और वैश्विक पहचान, इस कला ने बदल दी हजारों महिलाओं की जिंदगी!

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