पेट की चर्बी से 20 साल पहले ही ब्रेन की इस बीमारी का लग सकता है पता ! स्टडी में सामने आया कनेक्शन
New Study On Visceral Fat: आज के जमाने में डॉक्टर्स के पास तमाम एडवांस मशीनें हैं, जिनसे मिनटों में बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. ब्रेन से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने के लिए अक्सर डॉक्टर सीटी स्कैन या एमआरआई की सलाह देते हैं. अब एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि पेट पर जमी चर्बी से 20 साल पहले की अल्जाइमर का अनुमान लगाया जा सकता है. अल्जाइमर ब्रेन से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें लोगों की सोचने-समझने की क्षमता और याददाश्त बेहद कमजोर हो जाती है. यह बीमारी बुजुर्गों में ज्यादा होती है. अल्जाइमर को किसी भी ट्रीटमेंट से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसका वक्त रहते पता लग जाए, तो इसे रोकने में मदद मिल सकती है.
रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (RSNA) की एनुअल मीटिंग में प्रजेंट की गई एक रिसर्च में पता चला है कि पेट की छिपी हुई चर्बी और ब्रेन में असामान्य प्रोटीन के बीच एक गहरा कनेक्शन है. पेट के छिपे हुए फैट को विसरल फैट कहा जाता है. विसरल फैट शरीर के इंटरनल ऑर्गन जैसे- लिवर, हार्ट, किडनी और आंतों के आसपास जमा होता है. स्टडी में यह पाया गया कि पेट की छिपी हुई चर्बी ब्रेन में अल्जाइमर के डेवलपमेंट से 20 साल पहले ही इस बीमारी का अनुमान लगाने में मदद कर सकती है. अगर अल्जाइमर का पता 20 साल पहले चल जाए, तो इससे बचने में भी मदद मिल सकती है.
इस रिसर्च में 80 संज्ञानात्मक रूप से सामान्य मध्यम आयु वर्ग के व्यक्तियों को शामिल किया गया था, जिनकी औसत आयु 49.4 वर्ष थी. इस स्टडी में लगभग 57.5% प्रतिभागी मोटे थे, जिनका औसत बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 32.31 था. शोधकर्ताओं ने स्टडी में बीएमआई, विसरल फैट, सबक्यूटेनियस फैट, लिवर फैट, जांघ की चर्बी, मांसपेशियों और इंसुलिन प्रतिरोध के बीच के संबंधों को मापने के साथ-साथ मस्तिष्क में एमिलॉइड और टाऊ प्रोटीनों का विश्लेषण किया. शोधकर्ताओं ने यह पाया कि पेट की चर्बी का उच्च स्तर मस्तिष्क में एमिलॉइड के स्टोरेज से जुड़ा हुआ था.
एमिलॉइड वह असामान्य प्रोटीन है, जो अल्जाइमर रोग में ब्रेन में जमा होने लगता है और इससे ब्रेन सेल्स को नुकसान पहुंचता है. यह अध्ययन यह भी बताता है कि पेट की चर्बी अल्जाइमर रोग की पैथोलॉजी में वृद्धि का मुख्य कारण बन सकती है. रिसर्च में यह भी देखा गया कि पेट की चर्बी की अधिकता बीएमआई के प्रभाव का 77% हिस्सा थी, जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि पेट की चर्बी का अधिक होना अल्जाइमर के जोखिम को बढ़ा सकता है. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि हाई इंसुलिन रजिस्टेंस और कम एचडीएल ब्रेन में अधिक एमिलॉइड स्टोरेज से जुड़ा था.
रोचक बात यह है कि जिन लोगों में एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक था, उनके मस्तिष्क में एमिलॉइड की पैथोलॉजी पर पेट की चर्बी का प्रभाव कम था. इसका मतलब यह है कि एचडीएल का स्तर अगर अच्छा होगा, तो यह पेट की चर्बी के नकारात्मक प्रभाव को कुछ हद तक कम कर सकता है. इस प्रकार शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखना मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है.
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FIRST PUBLISHED : December 3, 2024, 14:13 IST