ये फसल 110 दिनों में होती है तैयार, 600 रुपये किलो तक मिलती है कीमत, नागौर, राजस्थान में भी होती है इसकी खेती

Last Updated:March 16, 2025, 08:33 IST
Cumin Cultivation in Nagaur Rajasthan: नागौर जिला जीरे की फसल के लिए राजस्थान के प्रमुख जिलों में से एक है, यहां जीरा किसानों के लिए अच्छी फसल मानी जाती है. इसकी मांग बाजार में हर समय बनी रहती है. वहीं इसकी बिक…और पढ़ेंX
जीरे की खेती
हाइलाइट्स
नागौर में जीरे की खेती 110 दिनों में तैयार होती हैजीरे की कीमत 200 से 600 रुपये प्रति किलो तक होती हैनागौर का जीरा विदेशों में भी निर्यात किया जाता है
नागौर. राजस्थान के नागौर जिले में जीरे की बुवाई का समय मुख्य रूप से शुष्क मौसम के मध्य तक होता है. जीरे की बुवाई के लिए नागौर राजस्थान के प्रमुख जिलों में से एक है. यहां पर उन्नत किसान अधिक मुनाफे के लिए उन्नत तरीके से जीरे की खेती करते हैं. बता दें, कि नागौर जीरे के अंकुरण और विकास के लिए अनुकूल क्षेत्र माना जाता है. वहीं जीरे की मांग बाजार में हर समय बनी रहती है, इसकी कीमत 200 से 600 रुपये के बीच होती है. इतना ही नहीं नागौर का जीरा विदेशों में भी सप्लाई होता है, तो हम किसान से जानते हैं, इसकी खेती किस प्रकार की जाती है, और कितना इससे फायदा होता है.
जीरे की बुवाई के लिए आवश्यक स्थितियांइस बारे में उन्नत किसान जोगा राम ने बताया, कि जीरे की बुवाई के लिए हल्की दोमट या बलुई मिट्टी अच्छी रहती है. इसमें जल निकासी अच्छी होनी चाहिए. वहीं 20-25°C का तापमान बुवाई के लिए अच्छा माना जाता है. वे आगे बताते हैं, कि बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए, अत्यधिक नमी से बचें, क्योंकि जीरे के पौधे में पानी की अधिकता से नुकसान हो सकता है. इसके अलावा प्रति हेक्टेयर 8-10 किलोग्राम बीज काफी होता है. आगे वे कहते हैं, कि अगर सही समय और विधि से बुवाई की जाए, तो मार्च-अप्रैल तक फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
जीरे की फसल लगाने के फायदेजीरा एक मसाला फसल है, जिसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है. इसकी कीमत 200-600 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है. इसलिए किसानों को इस फसल का अच्छा दाम मिलता है. इसके अलावा जीरे की फसल 110-120 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान जल्दी लाभ कमा सकते हैं. प्रमुख रूप से नागौर का जीरा भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी एक्सपोर्ट किया जाता है. यहां के जीरे की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी रहती है. इसलिए यहां के किसानों को इस फसल को बेचने के लिए बड़ा बाजार मिलता है.
कम लागत में अधिक उत्पादनउन्नत किसान ने बताया, कि जीरे की खेती में पानी और उर्वरक की खपत अन्य फसलों की तुलना में कम होती है. उपजाऊ मिट्टी और सही जलवायु में प्रति हेक्टेयर 6-8 क्विंटल तक उत्पादन किया जा सकता है. जीरा शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाया जा सकता है. यह फसल कम पानी और सीमित संसाधनों में भी अच्छा उत्पादन देती है. इसके साथ ही जीरे की खेती से होने वाले आर्थिक लाभ और किसानों के अनुभव ने इसे नागौर में व्यापक रूप से लोकप्रिय बना दिया है. यही कारण है, कि नागौर जिले को जीरे की खेती का प्रमुख केंद्र माना जाता है.
यहां जाता है नागौर का जीरा आपको बता दें कि नागौर के जीरे की डिमांड विश्व भर में है. नागौर मंडी के सचिव ने बताया कि जीरे की मांग देश व प्रदेश से ज्यादा ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राज़ील, दुबई, नेपाल और मलेशिया में है. भारत इन देशों में जीरा निर्यात करता है. वर्तमान समय अरब देशों में नागौर के जीरे की मांग लगातार बढ़ रही है.
Location :
Nagaur,Rajasthan
First Published :
March 16, 2025, 08:28 IST
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ये फसल 110 दिनों में हो जाती है तैयार, 600 रुपये किलो तक मिलती है कीमत, जानें