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30 साल से ज्यादा उम्र के लोग हो जाएं अलर्ट, बढ़ रही कानों की यह गंभीर समस्या, डरा देंगे WHO के आंकड़े

हाइलाइट्स

डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि आने वाले कुछ दशकों में बहरापन गंभीर समस्या बन सकती है.
वर्तमान समय में 30 साल की उम्र से ही लोगों को हियरिंग लॉस का सामना करना पड़ रहा है.

Hearing Loss in Young Age: पुराने जमाने में 80-90 साल की उम्र के लोगों को कम सुनाई देता है, लेकिन आज के दौर में कम उम्र के लोग भी बहरेपन का शिकार हो रहे हैं. श्रवण शक्ति यानी सुनने की क्षमता कम होने से लोगों की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित होती है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक हालिया रिपोर्ट की मानें तो साल 2050 तक दुनियाभर में 250 करोड़ लोगों को किसी न किसी लेवल का हियरिंग लॉस हो सकता है. इनमें से करीब 70 करोड़ लोगों को सुनने के लिए रिहेबिलिटेशन की जरूरत होगी. चिंता की बात यह है कि विश्व में 100 करोड़ युवाओं पर परमानेंट बहरेपन का खतरा मंडरा रहा है. इसकी मुख्य वजह अनसेफ लिसनिंग प्रैक्टिस हैं, जिन्हें बदलकर इस मुसीबत से बचा जा सकता है. ऐसे में लोगों को वक्त रहते जरूरी कदम उठाने होंगे.

नई दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के ENT स्पेशलिस्ट डॉ. संजय गुडवानी के मुताबिक उम्र बढ़ने के साथ हमारे शरीर के अंगों की क्षमता कम होने लगती है. ज्यादा उम्र के लोगों की हियरिंग पावर कम हो जाती है, लेकिन आज के समय में शहरी इलाको में रहने वाले 30 साल की उम्र के लोगों को भी हियरिंग लॉस का सामना करना पड़ रहा है. लगातार ऐसे मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. बहरेपन के कई कारण होते हैं, लेकिन वायरल इंफेक्शन, सर्दी, साइनस संक्रमण, अत्यधिक शोर में रहना, तेज म्यूजिक सुनना, हेडफोन का अत्यधिक उपयोग और कुछ दवाओं से श्रवण शक्ति कमजोर हो रही है. आनुवांशिक वजहों से भी लोगों को बहरेपन की समस्या हो सकती है. ऐसे में लोगों को समय समय पर अपना हियरिंग टेस्ट कराना चाहिए.

डॉक्टर की मानें तो हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ब्रेन डिसऑर्डर, लंबे समय तक शोर में रहना, जोरदार धमाके की आवाज और अन्य बीमारियों की वजह से भी बहरेपन का खतरा बढ़ सकता है. उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या आम होती है और लोगों को इसके लक्षण पहचानकर डॉक्टर से मिलना चाहिए. अगर कोई व्यक्ति किसी अनाउंसमेंट को सुनने में कठिनाई महसूस कर रहा है या सड़क पर वाहनों का हॉर्न नहीं सुन पा रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर कानों की जांच करानी चाहिए. डोरवेल की आवाज न सुन पाना, अलार्म की आवाज महसूस न होना या फोन पर बात करने में कम आवाज सुनाई देना भी हियरिंग लॉस के लक्षण हैं. बातचीत के दौरान लोगों की बात समझने में कठिनाई होने पर भी आपको अपनी जांच करानी चाहिए.

अब सवाल है कि अगर किसी की हियरिंग पावर कम हो जाए, तब क्या करना चाहिए? इस पर डॉक्टर का कहना है कि हियरिंग लॉस का सामना करने वाले लोग डॉक्टर की सलाह पर कान की मशीन का इस्तेमाल कर सकते हैं. कई मरीजों में कोक्लियर इम्प्लांट सर्जरी करनी पड़ती है. इसके अलावा नियमित रूप से सुरक्षित तरीके से कान साफ करने की सलाह दी जाती है. कम सुनाई देना एक गंभीर समस्या है और लोगों को इसे लेकर गंभीरता बरतनी चाहिए. डब्ल्यूएचओ द्वारा यह बताया है कि बहरेपन की समस्या रोकी जा सकती है. अगर उचित इलाज किया जाए तो इससे काफी हद तक राहत मिल सकती है.

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Tags: Health, Lifestyle, Trending news

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