रात में खिलता है भगवान शिव का यह प्रिय फूल, इसमें कूट-कूट कर भरा है औषधीय गुण, हर तरह के दर्द में है असरदार

Last Updated:October 11, 2025, 16:52 IST
Snake Lily Health Benefits: स्नेक गंध लिली एक दुर्लभ और आकर्षक पौधा है, जिसके फूल सांप जैसे दिखाई देते हैं. यह पौधा धार्मिक और औषधीय दृष्टि से बेहद खास है. ग्रामीण इलाकों में इसे भगवान शिव का प्रिय फूल माना जाता है और इसका खिलना शुभ संकेत समझा जाता है. आयुर्वेद में इसकी जड़ और कंद का उपयोग जोड़ों के दर्द, त्वचा रोग और पाचन विकारों के इलाज में किया जाता है. इसे लोग दिव्यता से भी जोड़ते हैं. ग्रामीण इलाकों में लोग भगवान शिव का प्रिय पौधा मानते हैं.
प्रकृति में कई ऐसे पौधे मिलते हैं जो अपने रूप, रंग और गुणों से लोगों को आकर्षित करते हैं. इन्हीं में से एक अनोखा पौधा है स्नेक गंध लिली. यह पौधा अपने अनोखे फूलों और औषधीय गुणों के कारण खास है. इसके फूलों की बनावट सांप जैसी होती है, जिससे लोग इसे दिव्यता से जोड़ते हैं. ग्रामीण इलाकों में इसे भगवान शिव का प्रिय पौधा माना जाता है.

ग्रामीण क्षेत्रों में स्नेक गंध लिली का खिलना शुभ संकेत माना जाता है. बुजुर्ग बताते हैं कि जब यह फूल खिलता है, तो मौसम में बदलाव या अच्छी बारिश का अनुमान लगाया जाता है. गांवों में इसे भूत फूल भी कहा जाता है, क्योंकि यह रात में खिलता है और इसकी तेज सुगंध दूर तक फैल जाती है. यह खुशबू दरअसल परागण के लिए कीड़ों को आकर्षित करने का तरीका है.

स्नेक गंध लिली का फूल लंबा और गहरे बैंगनी रंग का होता है, जिसकी लंबाई लगभग 30 से 50 सेंटीमीटर तक हो सकती है. इसकी खासियत यह है कि यह पौधा मिट्टी में जड़ें डाले बिना भी पेड़ों या पत्थरों पर उग जाता है. अनुकूल वातावरण मिलने पर इसका फूल अपने आप खिल उठता है. इसके अलग आकार और रंग के कारण यह पौधा देखने में बहुत सुंदर लगता है.

यह पौधा न सिर्फ देखने में सुंदर है बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर है. आयुर्वेद में इसका विशेष स्थान बताया गया है. स्नेक गंध लिली का उपयोग पाचन संबंधी बीमारियों जैसे अपच, गैस और कब्ज में किया जाता है. इसकी जड़ और कंद से बनी औषधियां शरीर के लिए बहुत लाभदायक मानी जाती हैं. यह प्राकृतिक उपचार का एक अहम स्रोत है.

हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अंजू चौधरी के अनुसार, इसके कंद से बनी दवाएं जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में राहत देती हैं. इसकी जड़ से बने लेप को शरीर पर लगाने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है. पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में इस पौधे के रस का उपयोग त्वचा रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है. यह शरीर की प्राकृतिक हीलिंग क्षमता को बढ़ाता है.

उन्होंने बताया कि स्नेक गंध लिली को ऊर्जा और ताकत बढ़ाने वाले टॉनिक के रूप में भी उपयोग किया जाता है. आयुर्वेद में इसके अर्क का इस्तेमाल मासिक धर्म की अनियमितता और पेट दर्द कम करने में किया जाता है. यह महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से उपयोगी माना गया है. इसके लगातार उपयोग से शरीर में स्फूर्ति और संतुलन बना रहता है.

स्नेक गंध लिली का फूल अपनी अनोखी आकृति के कारण अन्य पौधों से अलग दिखता है. इसका रंग बैंगनी-हरा होता है और यह किसी सांप की तरह मुड़ा दिखाई देता है. इसकी परजीवी प्रकृति और बिना पत्तियों वाला स्वरूप इसे अन्य पौधों से अलग बनाती है. ऐसे में यह पौधा धार्मिक और आयुर्वेदिक दृष्टि से बहुत खास माना जाता है.
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October 11, 2025, 16:52 IST
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रात में खिलता है भगवान शिव का यह प्रिय फूल, हर तरह के दर्द में है असरदार



