धरती और स्वास्थ्य दोनों को बर्बाद कर रहा है यह भोजन, खाने से फायदा तिनका और नुकसान ज्यादा, क्या ऐसा करेंगे आप
Bad Diet for health and Planet: इंटरनेट के इस बेलौस दौर में हर कोई परम ज्ञानी बनकर हेल्थ पर प्रवचन देने लगा है. कोई खाता है यह खाओ तो हेल्थ को इतने फायदे होंगे तो कोई कहता है यह खाओ तो उतने फायदे होंगे. इसी अंधी दौर में वर्तमान में एक कीटो डाइट का चलन बढ़ा और दूसरा पेलियो डाइट का इस्तेमाल बढ़ा है. दावा किया जाता है कि इस डाइट में कार्बोहाइड्रैट कम होता है और प्रोटीन ज्यादा होता है, इसलिए इससे मोटापा नहीं बढ़ता और कई तरह के फायदे होते हैं लेकिन हालिया एक रिसर्च की मानें तो कीटो और पेलियो डाइट धरती और इंसान दोनों के लिए खतरनाक है. कीटो डाइट में मांसहार सबसे खतरनाक है. मांसाहार में भी अगर इसे प्रोसेस्ड कर दिया जाता है तो यह एक तरह से पूरा टॉक्सिन हो जाता है. कई रिपोर्ट में पहले भी कहा जा चुका है कि प्रोसेस्ड मीट खाने से कैंसर जैसी बीमारी हो सकती है.
एक हजार कैलोरी से 3 किलो कार्बन उत्सर्जनअमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा फैट और कम कार्बोहाइड्रैट वाली कीटो डाइट से अगर एक हजार कैलोरी ऊर्जा शरीर को मिलेगी तो इसमें 3 किलो कार्बनडायऑक्साइड उत्सर्जित होगा. वहीं अगर इतनी कैलोरी के लिए पेलियो डाइट खाई जाय तो इससे पर्यावरण में 2.6 किलो कार्बन डायऑक्साइड जाएगा. यह हमारी धरती के लिए बेहद खराब है. गौरतलब है कि धरती के प्रदूषण में सबसे ज्यादा योगदान कार्बनडायऑक्साइड का है. कार्बनडायऑक्साइड और अन्य प्रदूषकों के कारण पूरी धरती तबाह हो रही है. दूसरी ओर इस डाइट से इंसानों को भी बहुत नुकसान हो रहा है. तुलाने यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 1600 लोगों की डाइट पर पांच साल तक विश्लेषण किया और पाया कि कीटो और पेलियो डाइट से इनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. 2021 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में भी कहा गया था कि प्रकृति में 34 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन भोजन से ही होता है. इनमें मांसहारी भोजन से सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है.
समझिए क्या होती है कीटो डाइटकीटो डाइट का मतलब होता है ऐसा फूड जिसमें कार्बोहाइड्रैट की मात्रा कम हो और फैट तथा प्रोटीन की मात्रा ज्यादा हो. इस डाइट को बनाने के पीछे तर्क यह था कि यदि आप प्रोटीन और फैट से ज्यादा कैलोरी प्राप्त करेंगे तो इससे आपके शरीर को ज्यादा फायदा होगा. इसमें तुरंत पचने वाली चीज को वर्जित किया जाता है. जैसे चीनी, पैस्ट्रीज, ब्रेड, सोडा आदि तुरंत पच जाता है तो इसे कीटो डाइट से हटा दिया जाता है. ऐसा भी दावा किया जाता है कि कीटो डाइट से ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है. वहीं इस डाइट से वजन कम होने का भी दावा किया जा रहा है. कीटो डाइट में मुख्य रूप से एनिमल प्रोटीन आता है. यानी जानवरों के मांस या इससे उत्पादित दूध. यानी फिश, मटन, चिकन, अंडा, दूध, दही आदि. इसके अलावा सीफूड, चीज, छाछ, क्रीम, प्लांट बेस्ड मिल्क, हरी पत्तीदार सब्जियां, स्क्वैश, अधिक फैट वाली सब्जी, नट्स, सीड्स, बैरीज, डार्क चॉकलेट आदि.
पेलियो डाइट में क्या-क्या पेलियो डाइट को पेलियोलिथिक काल से जोड़ा जा रहा है. पेलियोलिथिक काल का मतलब 25 लाख साल पहले से 10 हजार साल पहले तक के काल में लोगों का जो भोजन था उसे पेलियो डाइट मान लिया गया. इस भोजन में भी कमोबेश कीटो डाइट के तरह ही फूड शामिल है. उस समय में खाना बनाने की उतनी प्रथा नहीं थी न ही समाज सगठित था. इसलिए लोग शिकार करते थे और जानवरों का मांस खाते थे. इसके अलावा फल, मछलियां, अंडे, सीड्स, समुद्री जीव आदि खाते थे. हालांकि 10 हजार साल पहले से ही खेती शुरू हो गई थी लेकिन खेती से प्राप्त फूड को इसमें शामिल नहीं किया गया है. यानी चावल, दाल, डेयरी प्रोडक्ट भी इसमें शामिल नहीं है. इसमें फल, मांस, बादाम, अंडा, मछलियां, समुद्री जीव आदि शामिल हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 4, 2024, 16:11 IST