पाली से ही इस फल को मिली थी देशभर में पहचान, अब यहां ही नहीं हो रही पैदावार, दूसरे जिलों से आ रही खेप
पाली. सिंघाडे की सीजन आने के साथ ही हर कोई यही चाहता है कि पाली के सिंघाड़े का स्वाद चखे क्योकि पाली के संघाडे अपनी मिठास के लिए राजस्थान ही नही बल्कि देश के कई राज्यो में भी अपनी पहचान रखते है. मगर वर्तमान में बात करे तो पिछले कई सालों से सिंघाड़ो के लिए प्रसिद्ध पाली वाली ही अब अपनी धरती के सिंघाड़े खाने को तरस गए है. कभी पाली शहर के लोर्डिया तालाब के सिंघाड़े अपनी मिठास के लिए पहचाने जाते थे. जब भी सिंघाड़ों की पैदावार होती तो उसका स्वाद चखने की शहरवासियों की ख्वाहिश रहती थी. पिछले कुछ साल से बारिश होने के बावजूद सिंघाड़े गायब है.
हालात यह है कि पाली में बिकने वाले सिंघाडे अब राजस्थान के अन्य जिलों के साथ-साथ अन्य राज्यों से मंगवाकर पाली में व्यापारी इसको बेचने का काम कर रहे है. इसका कारण यह है कि हेमावास गांव के कुछ कीर परिवार लोर्डिया तालाब में सिंघाडे की बुवाई करते थे मगर अब उनका धीरे-धीरे मोह भंग हो गया है इसके लिए पिछले छह साल से सिंघाडे की पैदावार पाली में नही हुई है.
कीर परिवार किया करते थे सिंघाडे की बुवाईइस साल मानसून की अच्छी बारिश से जिले के लगभग तालाब और बांध पानी से लबालब हो गए. शहर के बीच स्थित लाखोटिया व लोर्डिया तालाब भी पानी से भर गया. पिछले साल बिपरजॉय और इस साल मानसून की अच्छी बारिश से भरे लोर्डिया तालाब में भरे पानी से इस बार सिंघाड़े की पैदावार की आस जगी थी, लेकिन अधूरी ही रह गई. हेमावास गांव के कुछ कीर परिवार लोर्डिया तालाब में सिंघाड़े की बुवाई करते थे. उनका धीरे-धीरे मोह भंग हो गया. इसके चलते पिछले छह साल से सिंघाड़े की पैदावार नहीं हुई.
इन जिलों और राज्यों से मंगवाए जा रहे सिंघाड़ायह सभी को पता है कि पाली के लोर्डिया तालाब में होने वाले सिंघाड़े पाली के साथ प्रदेश व देश में प्रसिद्ध हैं. इसकी मिठास से पता चल जाता है कि ये पाली के सिंघाड़े हैं. मगर पूरे देश को अपने प्रसिद्ध सिंघाडे खिलाने वाला पाली ही अब अपनी धरती के सिंघाड़े खाने को तरस गया है. हालात यह है कि वर्तमान में पाली में बिकने वाले सिंघाडे अजमेर, नसीराबाद, केकड़ी, ब्यावर, रायपुर व गुजरात से आ रहे हैं.
व्यापारी बोले पाली में नही हो रही पैदावार सिंघाडा व्यापारी राजूसिंह की माने तो पिछले छह साल से पाली में सिंघाड़े की पैदावार नहीं हो रही. व्यापारी बाहर से सिंघाड़े मंगवाकर पाली में बेच रहे हैं. रिटेल में 100 रुपए के डेढ किलो के भाव से सिंघाड़े बचे जा रहे हैं. लोर्डिया तालाब में पिछले छह साल से सिंघाड़े की पैदावार नहीं हो हुई. जिसके चलते हम व्यापारी अजमेर, नसीराबाद, केकड़ी, ब्यावर, रायपुर सहित गुजरात से सिंघाड़े मंगवाकर बेच रहे हैं.
इसलिए यह परिवार अब कर रहा मजदूरी लोर्डिया तालाब में सिंघाड़े की बुवाई करने के लिए मानपुरा भाखरी के रहने वाले 15-20 कीर जाति के परिवार थे. जो 10-10 फीट की बेल तालाब में डालकर सिंघाड़े की बुवाई करते थे. उन्हें जयपुर के आसपास, केकड़ी, शाहपुरा, टोंक जिले के देवली से सिंघाड़े की रोप नहीं मिल रही. इसके चलते ये परिवार अब वे आसपास के खेतों में मजदूरी कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 8, 2024, 20:39 IST