कविता-आजमाइश
राजीव डोगरा
नफरत की नहीं
मोहब्बत की
आजमाइश करो।
पराएयों की नहीं
अपनों की
आजमाइश करो।
बुराई की नहीं
अच्छाई का ढोंग
करने वालों की
आजमाइश करो।
दिल दुखाने वालों की नहीं
दिल लगाने वालों की
आजमाइश करो।
मरने वालों की नहीं
जीने वालों की
आजमाइश करो।
कड़वी जुबान की नहीं
शहद से मीठे होंठों की
आजमाइश करो।
पढि़ए एक और कविता
मोनिका राज
आजाद होने दो
वो साथ जिसे तड़प है
तुमसे दूर नई दुनिया बसाने की
न थामने की जिद करो आज
उसे बस उन्मुक्त हो जाने दो
वो मोती जिसकी ख्वाहिश है
कहीं और बंध माला बन जाने की
न पिरोने की जिद करो तुम
उसे अब कहीं और बिंध जाने दो
वो जो तुम्हारे प्रेम और स्नेह को
मानता हो बस एक बन्धन
न जकड़ो उसे पाश में तुम
हर मोह से उसे आजाद होने दो
वो जो चमकना चाहता है बनकर
किसी और के आंगन का सितारा
उसे अपना आसमां चुनने दो तुम
तय कर लेने दो उसे खुद की मंजिल
वो जो तुम्हारी परवाह को
समझाता हो बस एक बेड़ी
उसे आज जाने दो तुम
अपना कल उसे लिखने दो।