black fungus knocks new cities and spreads over many states haryana up mp


ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने पर फौरन डॉक्टरी सलाह लेना जान बचा सकता है.
हरियाणा में खतरे की आहट
पीजीआई रोहतक के बाद अब करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के दो केस सामने आए हैं. दोनों का इलाज शुरू हुआ है, जिनकी आंखों पर फफूंद बढ़ रही है. आलम यह है कि हेल्थ डायरेक्टर जनरल वीना सिंह ने माना है कि स्वास्थ्य विभाग के पास अब तक ज़िलेवार मरीज़ों का डेटा नहीं है. जबकि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हरियाणा के कुछ ज़िलों में अब तक कुल 40 मामले आ चुके हैं. ये भी पढ़ें : UNNAO NEWS : दिन में डॉक्टरों ने दिया सामूहिक इस्तीफा, रात को डीएम ने कहा – वापस लिया! बिहार में ब्लैक फंगल की दस्तक राजधानी पटना स्थित एम्स और आईजीआईएमएस में बुधवार को ब्लैक फंगस के पांच मरीज़ दाखिल हुए. आईजीआईएमएस में भर्ती मरीज़ मुज़फ्फरपुर ज़िले की बताई गई है. बिहार में इस कवक संक्रमण के मरीज़ मिलने के बाद कोरोना के संकट से जूझ रहे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है. और राज्यों में हाल? महाराष्ट्र सरकार को अंदेशा है कि इस संक्रमण के करीब 2000 मामले तक राज्य में हो सकते हैं. ताज़ा खबरों के मुताबिक ओडिशा में इस बीमारी ने दस्तक दी. बीते सोमवार को भुबनेश्वर के एक प्राइवेट अस्पताल में दाखिल हुए 71 वर्षीय मरीज़ को ब्लैक फंगस होना पाया गया. वहीं, राजस्थान की राजधानी जयपुर में 14 मरीज़ पिछले 12 घंटों में पाए जा चुके हैं.[/blurb]
#Gujarat | Mucormycosis, a fungal infection, is post Covid complication. 25 cases reported in civil hospitals & 20 in other hospitals here. All had contracted #COVID19 before. 50% patients are from outside Surat: Ashish Naik, Surat Municipal Corporation Deputy Health Commissioner pic.twitter.com/f4qwEUwTB8
— ANI (@ANI) May 13, 2021
गुजरात में बड़ा संकट सामने दिख रहा है क्योंकि अब तक 100 से ज़्यादा केस सामने आ चुके हैं, जिनमें इस संक्रमण के चलते मरीजों को आंख गंवाना पड़ी है. सूरत में ही 25 केस आ चुके हैं. देश की पहली यूनिट लगेगी एमपी में ब्लैक फंगल का इलाज खोजने और इस पर काबू पाने के लिए देश में जो पहली यूनिट शुरू की जाएगी, वह भोपाल और जबलपुर के मेडिकल कॉलेजों में बनेगी. इस खबर के साथ ही मध्य प्रदेश का आंकड़ा भी चिंताजनक दिख रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में 50 केस सामने आने की बात स्वीकार की है. हालिया खबरों के मुताबिक इंदौर के अस्पतालों में यह संक्रमण दो मरीज़ों की जान ले चुका है. ब्लैक फंगल इन्फेक्शन और इसके लक्षण भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार यह एक तरह का दुर्लभ फंगल इन्फेक्शन है, जो बहुत जल्दी शरीर में फैलता है. इससे मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा भी प्रभावित होती है लेकिन ज़्यादातर केसों में आंखों पर घातक असर होता है. कई केसों में आंखों की रौशनी चली जाती है. समय रहते इलाज और सर्जरी संभव है लेकिन देर होने पर मरीज़ की मौत हो सकती है. इसके लक्षण इस तरह बताए गए हैं :

ब्लैक फंगस इन्फेक्शन कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीज़ों को चपेट में ले रहा है.
बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस में तकलीफ, खूनी उल्टी के साथ ही आंखों या नाक के पास दर्द और लाली दिखे तो ब्लैक फंगल अटैक संभव है. स्किन इन्फेक्शन वाली जगह का काला पड़ना एक संकेत हो सकता है. कुछ केसों में आंखों में दर्द, धुंधलापन या पलकों का झड़ना भी लक्षण हैं. खास तौर से कोरोना से ठीक हुए और डायबिटीज के शिकार लोगों में ये ज़्यादा दिख रहा है. ये भी पढ़ें : उत्तराखंड में बेरोजगारों के लिए राहत की खबर, ये है रोजगार देने वाला नया फरमान क्या है आपके काम की सलाह? लक्षण दिखने पर फौरन डॉक्टरी सलाह लें. अब तक आ रहे आंकड़ों के अनुसार 50 फीसदी मामलों में जान बचाया जाना संभव हुआ है. विशेषज्ञ बता रहे हैं कि कोरोना संक्रमण या उसके डर के चलते लोग अगर बगैर डॉक्टरी सलाह के या ज़रूरत से ज़्यादा स्टेरॉयड लेते हैं तो उन्हें संक्रमण संभव है. घरों में गमलों, किचन, सीपेज वाली छतों व दीवारों के साथ ही अस्पतालों के ऑक्सीजन पॉइंट पर लगे ह्यूमीडिफायर, ऑक्सीजन लाइन में यह फफूंद जल्दी फैल सकती है इसलिए साफ सफाई नियमित तौर पर ज़रूरी है. देश में इस बीमारी से जूझने के लिए अभी स्पष्ट सिस्टम नहीं है और इसकी दवा की शॉर्टेज या कालाबाज़ारी अभी से कुछ जगहों पर होने की खबरें भी आ चुकी हैं. जानकारों की सलाह और हालात का तकाज़ा है कि सुरक्षा और सतर्कता ही बचाव है.