सिरोही में आसमान में मंडराता ये हेलीकॉप्टर खोज रहा जमीन के अंदर छुपा खजाना, जानें क्या है पूरा माजरा

सिरोही : जिले में पिछले करीब एक सप्ताह से आसमान में एक यंत्र के साथ घूमता हेलीकॉप्टर आमजन में जिज्ञासा का विषय बना हुआ है. हर कोई आसमान में रहवासी इलाकों के ऊपर मंडराते इस हेलीकॉप्टर और इस पर लगे यंत्र को लेकर अपना अनुमान लगा रहे हैं.
दरअसल, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की ओर से जिले में जमीन में पाए जाने वाले खनिज भंडारों की पहचान के लिए सर्वे करवाया जा रहा है. सर्वे कर रही टीम एक सप्ताह से मानपुर हवाई पट्टी पर कैंप किये हुए हैं. जीएसआई द्वारा केंद्र सरकार के खान मंत्रालय के राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) के वित्तीय सहयोग से एक उन्नत हेलीबोर्न टाइम डोमेन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (टीडीईएम) और चुंबकीय भू-भौतिकीय सर्वेक्षण शुरू किया है.
राष्ट्रीय हवाई भूभौतिकीय मानचित्रण कार्यक्रम (एनएजीएमपी) का यह एक एक डिटेल फॉलो-अप सर्वे है. जिले में हो रहे इस सर्वे में हेलीकॉप्टर में लगे उन्नत टीडीईएम और चुंबकीय सेंसर का उपयोग करके 198 वर्ग किमी क्षेत्र में सर्वेक्षण करते हुए 1429 किमी फ्लाइट लाइन पर हाई रिजोल्यूशन डेटा को एकत्रित किया जाएगा. यह सर्वेक्षण 150 मीटर की उड़ान लाइन इंटरवल और 1500 मीटर की टाई लाइन इंटरवल पर किया जाता है, जिसमें सेंसर ज़मीन से 40 मीटर की ऊंचाई पर काम करते हैं.
जमीन में छुपे खनिज भंडार की होगी खोज जीएसआई द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस सर्वे के परिणाम भूवैज्ञानिक संरचनाओं और खनिज संभावित क्षेत्रों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे, जो सतह पर दिखाई नहीं देते हैं. चुंबकीय डेटा के साथ संयुक्त टीडीईएम विधि, तांबे, निकल और सोने जैसे मूल्यवान खनिज भंडारों से जुड़े प्रवाहकीय क्षेत्रों की पहचान करने में सहायक होगी. यह सर्वे उप-सतही भूविज्ञान और खनिजकरण को अधिक विस्तार से मेपिंग करने में मदद करेगा, जिसे अक्सर पारंपरिक चुंबकीय तरीकों का उपयोग करके जांच करना मुश्किल होता है. यह भारत की खनिज अन्वेषण क्षमताओं को बढ़ाने और इसके खनन क्षेत्र के सतत विकास में योगदान देने की एक व्यापक पहल का हिस्सा है.
3354 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को किया जाएगा कवर परियोजना के पूरा होने के बाद इस सर्वे के आंकडें सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध कराए जाएंगे, जिसे सरकारी और निजी अन्वेषण एजेंसियां, राष्ट्रीय भूविज्ञान डेटा रिपॉजिटरी (एनजीडीआर) पोर्टल के माध्यम से प्राप्त कर सकती हैं. इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों का उपयोग अन्वेषण रणनीतियों को परिष्कृत करने और भविष्य की संसाधन विकास परियोजनाओं के प्रोत्साहन लिए किया जाएगा.
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, राजस्थान के इस ब्लॉक के साथ-साथ ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक राज्यों में भी इसी तरह के सर्वेक्षण करेगा. जिसमें दस अलग-अलग ब्लॉकों में कुल 3,354 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : December 7, 2024, 11:40 IST