Rajasthan

राजस्थान में यह एक ऐसा समाज जो रक्षाबंधन पर पाली में करता है तर्पण,आखिर क्या रही इसके पीछे की वजह-This is a community in Rajasthan that performs tarpan in Pali on Rakshabandhan, what is the reason behind it

पाली. भाई बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार आज देशभर में बडे ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जा रहा है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी जरूर होगी कि एक समाज ऐसा भी है जो रक्षाबंधन का यह त्योहार पिछले 733 साल से नहीं मना रहा है. इतिहासकारों के अनुसार, पाली मारवाड़ में पालीवाल छठी सदी से रह रहे थे, जो काफी समृद्ध थे. पाली की समृद्धि को देखकर सन 1291-92 जलालुदीन खिलजी जो फिरोशाह द्वितीय के नाम से शासक बना था. उसने आक्रमण किया.

श्रावणी पूर्णिमा रक्षाबंधन के दिन हजारों पालीवाल ब्राह्मणों ने युद्ध किया और बलिदान दिया. युद्ध में बलिदान देने वाले ब्राह्मणों की 9 मण जनेऊ व विधवा माताओं का 84 मण चूड़ा उतरा. उसे अपवित्र होने से बचाने के लिए पालीवाल ब्राह्मणों ने धौला चौतरा पर एक कुएं में जनेऊ व चूड़े डालकर उसे बंद कर दिया था. उस समय जो पालीवाल ब्राह्मण बचे. उन्होंने धर्म की रक्षा, स्वाभिमान के लिए पाली को छोड़ दिया था. पालीवाल ब्राह्मण जो विक्रम संवत 1348, सन 1291-92 में पाली छोड़कर चले गए. उनको लोगों ने भूला दिया, लेकिन वे अपने पूर्वजों का आज भी रक्षाबंधन पर पाली में तर्पण करते हैं. इस दिन पूर्वजों के बलिदान देने के कारण 733 साल बाद भी रक्षाबंधन पर्व नहीं मनाते हैं.

रक्षाबंधन नही मनाने की यह रही वजहतत्कालीन दिल्ली के शासक जलालुद्दीन खिलजी ने सन 1291-1292 के लगभग अपनी सेना के साथ पाली को लूटने के लिए आक्रमण किया. युद्ध में हजारों की संख्या में पालीवाल ब्राह्मण शहीद हो गए. जीवित बचे लोगों ने पाली का परित्याग कर दिया. उसी दिन से राजस्थान के अलग–अलग क्षेत्रों में रह रहे हैं. समाज के लोग राखी पर पाली पहुंचकर सामूहिक तर्पण में भागीदारी निभाते हैं.

9 मण जनेऊ व 84 मन चूड़ा बावड़ी में डाल कर दिया था बंदरक्षाबंधन आवणी पूर्णिमा के दिन ही युद्ध करते हुए हजारों ब्राह्मण शहीद हुए. महिलाएं बहुताधिक संख्या में विधवा हुई. इतिहास के अनुसार, युद्ध के दौरान शहीद हुए ब्राह्मण की करीब 9 मण जनेऊ व विधवाओं के पास हाथी दांत का करीब 84 मन चूड़ा अपवित्र होने से बचाने के लिए पाली में परकोटे की बावड़ी में डालकर बंद कर दिया गया था, जो स्थल वर्तमान पाली शहर में धौला चौतरा के नाम से विख्यात और पूज्यनीय है.

आज के दिन यहां पुष्पांजलि करते है अर्पितपालीवाल ब्राह्मण राखी को पालीवाल एकता दिवस के रूप में मनाते हैं. समाज की ओर से पाली में धौला चौतरा को विकसित किया गया है. राखी पर लोग धौला चौतरा पर जाकर पुष्पांजलि अर्पित कर तालाब पर अपने पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण करते हैं.

Tags: Local18, Pali news, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : August 19, 2024, 14:48 IST

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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