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This is a magical pillow made from desert plants and seeds, it is beneficial for the neck

Agency: Rajasthan

Last Updated:February 09, 2025, 12:27 IST

गौ ग्राम स्वावलंबन संस्थान के निर्मल बरडिया ने बताया कि यह बुई का तकिया है जो विशेष प्रकार का है. बीकानेर में बहुतायत में बुई पैदा होती है. इसका उपयोग दैनिक जीवन में बढ़ाने के लिए इस तरह का तकिया बनाया है. हम व…और पढ़ेंX
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एक तरह से इस तकिए को जादुई तकिया भी कहते है. 

घरों में लोग कई तरह के तकिए लगाते है. लेकिन कई बार गर्दन में दर्द भी शुरू हो जाता है. ऐसे में बीकानेर की संस्थान ने एक ऐसा तकिया तैयार किया है.जिससे गर्दन का दर्द छूमंतर हो जाता है. एक तरह से इस तकिए को जादुई तकिया भी कहते है. इस तकिए की अभी बहुत डिमांड चल रही है. बीकानेर के रेतीले इलाकों में उगने वाला यह बुई पौधे से रूई और बीज निकलते हैं. इस पौधे को कई लोग जंगली रूई और जंगली पौधे के नाम से जानते हैं. इस पौधे की पत्ती और रूई को पशु भी खाते हैं. खासतौर ऊंट इस पौधे की रूई को खाना ज्यादा पसंद करते है.

गौ ग्राम स्वावलंबन संस्थान के निर्मल बरडिया ने बताया कि यह बुई का तकिया है जो विशेष प्रकार का है. बीकानेर में बहुतायत में बुई पैदा होती है. इसका उपयोग दैनिक जीवन में बढ़ाने के लिए इस तरह का तकिया बनाया है. हम विभिन्न प्रकार की चीजें जो पैदा तो प्रकृति कर रही है. लेकिन, उसका उपयोग नहीं हो रहा है. उसका उपयोग बढ़ाने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है. इस तकिया की कीमत करीब 500 रुपए है. इसमें एक किलो बुई डाली गई है. इस तकिए को लगाने से गर्दन में आराम मिलता है. इस बुई में कैल्शियम भरपूर होता है. यह तकिया हाथ से तैयार होता है. किसी मशीन से तैयार नहीं होता है. इसमें प्राण ऊर्जा भी समाहित होती है. इस तकिए को बनाने में करीब चार आदमी ने दो घंटे में बनाकर तैयार कर दिया है.

एक तकिया की कीमत 500 रुपएयह बुई नाम का पौधा खेतों और धोरों में खुद उग जाता है. इस पेड़ में पत्ते आने के बाद कुछ दिन में फूल आ जाते हैं, इस फूल में बीज होते है. इस बीज से पहले लोग रोटी बना लेते थे. गेंहू का आटा लेकर इसमें बुई के बीज डाल लेते थे. इसके बाद रोटी को सेक कर खाते थे. इसके अलावा इस पौधे पर रुई की तरह फूल खिलते है. जिससे लोग अपने अपने बिस्तर और रजाई बनाकर काम में लेते थे.अब लोगों ने इसका उपयोग करना बंद कर दिया है. इसमें मेहनत बहुत ज्यादा लगती है. हालांकि, आज भी इस पौधे की रूई और बीज से रोटी और रजाई और बिस्तर बन सकते हैं. यह पौधा बारिश होने पर उगता है और ज्यादा सर्दी होने पर यह पौधा खराब हो जाता है. ज्यादा सर्दी यह पौधा सहन नहीं कर सकता है. इस पौधे की खासियत है. इसका बीज खत्म नहीं होता है. अपने आप आगे से आगे लगता रहता है. इस पौधे का सीजन पूरे साल रहता है. आयुर्वेदिक डॉक्टर निधि मिश्रा कहना है कि इस पौधे के पत्ते के भी कई फायदे है.

बीज से बना जादुई तकियाखेतों में कई बार गंदा पानी किसानों में पैर में लग जाने से पैर सूज जाते है. इसके बाद किसान इस बुई पौधे के पत्ते से सेक कर सूजन कम करते थे. कई दिन करने से सूजन खत्म हो जाती थी. इस बुई पौधे का तना काफी मजबूत होता है. ऐसे में थार रेगिस्तान में अगर कहीं मिट्टी में गाड़ी दब जाती है तो ज्यादातर लोग इस पौधे के तने को गाड़ी के टायर के नीचे रखकर मिट्टी से गाड़ी के निकालते है. डॉ. निधि मिश्रा कहना है कि इस पौधे के फूल में होने वाले बीज शरीर के लिए काफी फायदेमंद रहते है. इससे शरीर में एनर्जी यानी ऊर्जा बनी रहती है और कई बीमारियों से दूर रखता है.

Location :

Bikaner,Rajasthan

First Published :

February 09, 2025, 12:27 IST

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बीकानेर का जादुई तकिया,बुई पौधे से बने तकिए से गर्दन दर्द में मिलता है राहत

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