ये ट्रेंड नहीं इलाज है, आयुर्वेदिक चाय के कई फायदे, शुगर-डिप्रेशन-आर्थराइटिस भगाए दूर
जयपुर ग्रामीण. चाय यानि एनर्जी टॉनिक. चाय का नाम सुनते ही स्पूर्ति आ जाती है. कोई मसाला चाय, कोई मीठी चाय, कोई फीकी चाय तो कोई काली चाय पीना पसंद करता है. राजस्थान में भी अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरह की चाय बनाकर लोग पीते हैं. लेकिन इन दिनों आयुर्वेदिक चाय का ट्रेंड बढ़ रहा है. धार्मिक कार्यक्रम शादी फंक्शन आदि में मेहमानों को अब दूध की चाय ना पिलाकर आयुर्वेदिक चाय पिलाई जा रही है.
कहते हैं आयुर्वेदिक चाय पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है साथ ही दूध की चाय से होने वाले नुकसान से भी बचाती है. आयुर्वेद चाय बनाने के लिए एक खास विधि और एक खास तरीका अपनाना होता है.
आयुर्वेदिक चाय के लिए आवश्यक सामग्रीआयुर्वेदिक चाय के लिए खास प्रकार की सामग्री उपयोग में ली जाती है. इसमें तुलसी के सूखे पत्ते, दालचीनी, तेजपाल, ब्रह्मी बूटी, छोटी इलायची, काली मिर्च, सौंफ और अदरक सहित अनेक आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां डाली जाती हैं.
आयुर्वेदिक चाय बनाने की विधिआयुर्वेदिक चाय बनाने के लिए निर्धारित ताप और निर्धारित सामग्री का प्रयोग करते हुए खास विधि अपनायी जाती है. सबसे पहले पतीले में पानी उबालते हैं, फिर ऊपर बतायी गयी सारी सामग्री को मोटा कूटकर मसाला तैयार करते हैं. पानी उबालने के बाद पतीले को नीचे उतार लेते हैं और कुटे हुए मसाले डाल कर फौरन उसे ढांक देते हैं. और थोड़ी देर तक उबलने देते हैं. उसके बाद फिर कप में छान कर डाल देते हैं.
आयुर्वेदिक चाय में दूध नहीं डाला जाता. चाय को मीठा करने के लिए उबालते समय उचित मात्रा में चीनी और गुड़ डाल सकते हैं.
आयुर्वेदिक चाय के फायदे
(1). आयुर्वेदिक चाय डेंगू, वायरल, फीवर में बहुत फायदेमंद होती है.
(2). आर्थराइटिस मरीज को राहत देती है और दर्द निवारक का काम भी करती है.
(3). आयुर्वेदिक चाय शुगर लेवल कंट्रोल करती है. लगातार आयुर्वेदिक चाय पीने से शुगर कंट्रोल रहती है.
(4).आयुर्वेदिक चाय डिप्रेशन दूर करने में सहायक होती है और हार्मोंस कंट्रोल करती है .
(5). इसे पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जो अस्थमा, खांसी, जुकाम और जकड़न दूर करने में सहायक होती है.
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FIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 20:58 IST