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गोबर-छाछ से तैयार होती है ये लिक्विड, जमीन और फसल के लिए अमृत, जानें फायदे

क्या आप भी अपने खेत में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग करते हैं? हालांकि, इससे भूमि की उर्वरा शक्ति घट जाती है. लेकिन, जैविक खाद और तरल का उपयोग आपकी भूमि को फिर से उपजाऊ बना सकता है.

सिरोही जिले के ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा शुरू की गई यौगिक खेती की पहल इस दिशा में एक बेहतरीन उदाहरण है. इसमें बिना रसायनों के जैविक खाद का उपयोग किया जा रहा है, जिससे खेती की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है.

यौगिक खेती की विशेषताएं

ब्रह्माकुमारी संस्थान के तपोवन और आरोग्य वन में जैविक खेती की जा रही है. इसमें ड्रैगन फ्रूट, दुबई के खजूर, ताइवानी पपीते, और विभिन्न सब्जियों व फलों की सफलतापूर्वक खेती हो रही है. इन फसलों को बिना किसी रासायनिक खाद के जैविक खाद और तरल के माध्यम से उगाया जा रहा है. इसके साथ ही फसलों को सकारात्मक ऊर्जा (वाइब्रेशन) भी दी जाती है, जो उपज को बढ़ाने में मदद करती है.

जैविक खाद का उपयोग

बीके चंद्रेश भाई ने बताया कि आरोग्य वन में 100% जैविक खेती होती है. यहां गौकृपाअमृत कल्चर तैयार किया जाता है, जिसमें अच्छे बैक्टीरिया का उपयोग कर भूमि की उर्वरा शक्ति और इम्यून सिस्टम को बढ़ाया जाता है.

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इसका उपयोग 2,000 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से किया जाता है, जिससे फसल की गुणवत्ता और कीट नियंत्रण में मदद मिलती है. साथ ही, घन जीवामृत, जो गोबर खाद से तैयार किया जाता है, मिट्टी को उपजाऊ बनाने में कारगर साबित होता है.

जैविक तरल कैसे तैयार होता है?

बीके ललन भाई ने जैविक तरल तैयार करने की प्रक्रिया समझाई. इसमें 30-35 गायों के गोबर का उपयोग कर जैविक दवाई बनाई जाती है. जिससे मिट्टी को मुलायम किया जाता है और केंचुए जैसे जीवों की संख्या बढ़ाई जाती है, जो भूमि की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाते हैं.

जैविक तरल को तैयार करने के लिए नीम खल और सरसों की खली को पानी में भिगोकर तैयार किया जाता है. इसमें देशी गाय का छाछ और गोबर मिलाकर इसे 7 दिन तक रखा जाता है. इस तरल को ड्रिप सिस्टम के जरिए पौधों तक पहुँचाया जाता है, जिससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं.

प्रशिक्षण और उपयोग

इस प्राकृतिक और जैविक खेती का प्रशिक्षण देशभर से आने वाले किसान ब्रह्माकुमारी संस्थान में प्राप्त कर रहे हैं. किसान यहां आकर इस विधि को सीख सकते हैं और फिर अपने खेतों में लागू कर सकते हैं. प्रशिक्षण पूरी तरह से निशुल्क है, और किसानों को इसे छोटे पैमाने पर शुरू करने और धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर उपयोग करने की सलाह दी जाती है.

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Tags: Agriculture, Local18

FIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 11:58 IST

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