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अमृत से कम नहीं है गौ मूत्र, दही, दूध और घी, गोबर से बनी ये औषधि, कीमत मात्र 7200 रुपए प्रति किलो

शाश्वत सिंह/झांसी. पंचगव्य का भारतीय आयुर्वेद परंपरा में बहुत महत्व है. आयुर्वेद परंपरा में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेद के जानकार बताते हैं कि प्राचीन काल में इसका बहुत इस्तेमाल होता था. कई प्रकार की औषधियों और जड़ी बूटी में भी इसका इस्तेमाल होता है. पंचगव्य से होने वाले इलाज को “पंचगव्य चिकित्सा” कहा जाता है. पंचगव्य मूलतः 5 वस्तुओं से बनता है. यह सभी वस्तुएं गाय से प्राप्त होती हैं.

जिला अस्पताल में आयुर्वेद विभाग के चिकित्सक डॉ. अशोक गांधी ने बताया कि पंचगव्य बनाने के लिए दूध, मूत्र, गोबर, दही और घी का इस्तेमाल किया जाता है. मनुष्य के लिए यह बहुत गुणकारी होता है. इसे कई अन्य दवाओं के साथ मिलाकर दिया जाता है. पंचगव्य से बनने वाले उत्पाद पोषण, अमीनो एसिड, प्रोटीन, विटामिन और आयरन से भरपूर होते हैं. बाजार में यह बहुत महंगा मिलता है. कई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर इसकी कीमत 7200 रुपए प्रति लीटर तक भी है.

घर में ऐसे करें तैयारडॉ. अशोक ने बताया कि गाय के 5 किलो ताजा गोबर में, 3 लीटर गऊ मूत्र, 2 लीटर गाय का दही, 2 लीटर गाय का दूध, आधा किलो गाय का घी, 3 लीटर गन्ने का रस और 12 पके केले को एक साथ मिलाएं. इसे एक मटकी में मिक्स करें. इसे तब तक चलाते रहें जब तक खमीर ना उठा जाए. खमीर उठने के बाद उसे हटा लें. जो पानी बचे उसको पंचगव्य के रुप में इस्तेमाल किया जाता है.

Tags: Health News, Jhansi news, Life18, Local18, Uttar Pradesh News Hindi

FIRST PUBLISHED : May 10, 2024, 10:31 IST

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